मैं और मेरा पहला प्यार
मैं और मेरा पहला प्यार
अपनी जिंदगी में आशू भी भागा जा रहा था पढ़ाई पूरी करके जॉब तलाश कर रहा था बचपन में पिता के देहांत के बाद उसकी पूरी परवरिश उसकी माँ ने की थी, हरपल अपनी माँ को खुश देखना चाहता था !
अपनी पढ़ाई पूरी मेहनत से की थी उसके साथ था उसकी का आशीर्वाद, टूटफूटा सा घर और माँ के सारे सपने आशू में में समाये थे वेवस हो जाता था जब माँ की आँखों में आंसू देखता था बस इतना ही कहता था माँ अब मत रो रोने के दिन अब जाने वाले हैं!
इसी बीच उसकी मुलाक़ात नेहा से होती है नेहा एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती थी उसे आशू अच्छा लगा और उसे अपनी कंपनी में जॉब ऑफर किया अगले दिन वह इंटरव्यू के लिए माँ से आशीर्वाद लेकर चल दिया उसी दिन शाम को उसे फोन आया की वह सेलेक्ट हो गया है! ख़ुशी से वह नाच था तुरंत ही नेहा को कॉल करके धन्यवाद कहा! समय के साथ नेहा के साथ नजदीकियां बढ़ती गई अब दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे फिर एक दिन वह नेहा को अपनी माँ से मुलाक़ात कराने ले गया माँ को नेहा बहुत पसंद आयी।
धीरे धीरे बात शादी तक आ पहुंची! उधर आशू को कंपनी की तरफ से घर और गाड़ी मिल गए माँ ख़ुश थी मगर नेहा ने एक शर्त आशू के सामने रख दी कि अगर वह उससे शादी करना चाहता है तो माँ उसे पुराने घर छोड़नी पड़ेगी।
आशू सोच में डूब गया।
माँ को जब इसकी खबर लगी तो उसने आशू से कहा बेटा मेरी जिंदगी तो कट चुकी तू अपनी जिंदगी देख नेहा के साथ जा थोड़े से दिन और बचे हैं ऐसे ही कट जायेंगे ये सुन् वह सन्न सा खड़ा माँ को देखे जा रहा था झुककर माँ के पैरों को पकडकर बोला माँ पिता को आप में देखा है मेरी सारी इच्छा तुमने पूरी की खुद भूखी रहकर मुझे इसी दिन के लिए बड़ा किया था। नहीं माँ मेरा पहला प्यार तू है तेरे सिवा मेरा, कोई नहीं नेहा तो मुझे बहुत मिल जाएंगी मगर तेरे जैसी माँ कहां से लाऊंगा माँ।
ये सुन माँ की आँखों में भी आंसू आ गए उन दोनों की बातों को नेहा बाहर ख़डी चुपचाप सब सुन रही थी और रो रही थी अपनी गलती पर उसे पछतावा हो रहा था।
अंदर आकर नेहा ने माफ़ी मांगी और हमेशा माँ के साथ रहने का वचन दिया
वास्तव में यही सत्य है कि पहला प्यार माँ ही है !