माँ तुम ग्रेट हो
माँ तुम ग्रेट हो
तूने अपने मन की निर्मलता से सेहराया, अपने अंग के खून से मुझे बनाया..
नौ महीने मुझे अपनी कोक मे रखा, उल्टियां पीठदर्द सब सहा..मेरी करवटो से परेशान फिर भी मरे लाथों को हसीं मे छुपाया..
माँ तूने अपने अंग के खून से मुझे बनाया..
डिलीवरी का टाइम जो आया दर्द से परेशान फिर भी मुझे इस दुनिया मे लाने की उत्सुकता को दर्शाया,
मेरे कोमल हाथों मे अपना हाथ देकर अपने दूध का कर्ज़दान बनाया...
हर एक रात जागकर मेरे डरावने सपनों को हस्ती सुबह बनी तुम,
मेरे चंदा मामा की सखी और कहानियोंकी परियों से तूने मुझे मिलाया...
मेरे नन्हे कदमो मे तूने अपने बचपन को पाया, खिलौने
साइकिल फटाके हर एक मेरी जिद्द को तूने पापा से दिलवाया..
मुझे पहले दिन स्कूल छोड़ते हुए तेरी आँखें मुझसे ज्यादा नम थी, मैं पीछे मुढ़कर एक बार देखू इन ख्वाहिशों को अपनी रोती आँखों मे दबाया..
माँ अपने अंग के खून से तूने मुझे बनाया..
तूने ऑफिस और घर दोनों काम बड़ी खूबसूरती से निभाएं, ऑफिस जाते समय मुझे अकेले छोड़के जाने का गम तुझे सताया,
स्कूल के होमवर्क से लेकर कॉलेज के प्रोजेक्ट्स मे मैंने हमेशा तेरा साथ ही तोह पाया..
माँ अपने अंग के खून से तूने मुझे बनाया..
पढ़ते पढ़ते बड़ी होगयी तेरी गुड़िया माँ, आज उसकी शादी का वक़्त है आया,
आँखों मे ख़ुशी लेकिन दिल मे नमी के साथ तूने मुझे बीदा कराया..
तेरी हर वह बात याद है मुझे माँ हर दिन तेरी कोशिश मुझे एक बेहतर इंसान बनाने मुझमे समायी है,
तेरी बातों का मतलब अब समझी जब आज मेरे माँ बनने की बारी आयी hai..
अब यह सवाल मन में सताता है, तेरी हर एक बात को याद रखकर मैं भी यह पात्र निभाऊंगी..
तू जितनी सुन्दर माँ है क्या मैं भी वो बन पाऊँगी ?
