कुछ भीगे अल्फाज़
कुछ भीगे अल्फाज़
रोज़ की तरह ही आज भी मैंने काम खत्म किया और खाना खाकर अपने कमरे में सोने के लिए चला गया। रात काफी हो चुकी थी घर के सारे लोग सो चुके थे। लाइट बन्द करके मोबाइल को बाजू में रखा और आंख बंद की ही थी कि मोबाइल पे लगातार 2 मैसेज आये। मैंने सोचा कि सुबह देखेंगे लेकिन मन कहाँ ही मानता है जबतक ये देख न लो की किसका मैसेज है। जैसे ही मोबाइल उठाया तो देखा कि रागिनी का मैसेज था। एक दम से मानो जैसे मेरा गुज़रा हुआ कल मेरी आँखों के सामने चलने लगा हो ऐसा लगा। चारों तरफ सन्नाटा सा पसर गया मुझे सिर्फ मेरा बीता हुआ कल सामने नजर आ रहा था। धड़कनों की आवाज़ बाहर से आती गाड़ियों की आवाज़ से तेज सुनाई दे रही थी। हालांकि मैंने अभी मैसेज पढ़े नहीं थे पर मन में इतने ख्याल तेज़ रफ़्तार से दौड़ने लगे मानो पूरी रात भागते रहेंगे पर रुकेंगे नहीं।
4 साल हो चुके थे हमें अलग हुए और इस दौरान कभी रागिनी का न तो फ़ोन आया नाही कभी कोई मैसेज आया । फिर आज ऐसा क्या हुआ जो इसकी जरूरत पड़ गई । इन सारे ख्यालों के साथ मैं पूरे कमरे के चक्कर लगा रहा था हाथ कांप रहे थे पसीना आ रहा था पर मैसेज खोल नहीं पा रहा था। फिर एक जानी पहचानी आवाज़ मेरे सुन्न पड़े कानों को सुनाई दी, अरे क्या हुआ इतने परेशान क्यों हो तबीयत तो ठीक है ना इतना घबराए हुए क्यू लग रहे हो। मेरी बीवी अर्पिता की आवाज़ थी वो कब जागी मुझे पता नहीं चला। उसको मेरे पुराने रिश्ते के बारे में सब कुछ पहले से ही पता था तो मैंने बिना देर किए उसे बता दिया की आखिर क्या बात है। अरे तो मैसेज पढ़ो तो पहले की क्या बोल रही है पहले ही परेशान घूम रहे हो जैसे उसने शादी के लिए पूछ लिया हो, मज़ाक करते हुए वो बोली, लाओ मैं पढ़ती हूं ऐसा कहकर उसने मोबाइल मुझसे ले लिया। मैसेज पढ़ के उसने मुझे गुस्से से देखा, मेरी घबराहट और बढ़ गई, क्या लिखा है बताओ तो मैंने पूछा। लो खुद ही पढ़ लो , ऐसा कहकर उसने फ़ोन दे दिया । 2 मैसेज थे जिसमें से एक मुझे समझ नहीं आया क्योंकि कुछ अलग ही लिखा था जिसका मतलब कुछ भी नहीं था। दूसरे मैसेज में लिखा था माफ करना वो मेरी बेटी मोबाइल से खेल रही थी तो उसने तुम्हें कब मैसेज कर दिया मैं देख ही नहीं पाई। मेरी बीवी ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी ,मेरी घबराहट भी चली गई और थोड़ी सी हंसी मुझे भी आई। अर्पिता ने मोबाइल लेकर उसको रिप्लाई किया कोई बात नहीं बेटी को हमारा प्यार देना। अर्पिता और मैं हंसते हुए कब सो गए पता नहीं चला।।