काश फिर लौट आता बचपन
काश फिर लौट आता बचपन
रोहन एक नामी आई टी कम्पनी में अभियंता के रूप में कार्यरत था। माँ-बाप का इकलौता लड़का था। घर की पूरी जिम्मेदारी रोहन पर थी, वह अपने परिवार को एक बेहतर जीवन देने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करता। इन सबके बीच में मानों लगता सिर्फ जिम्मेदारी निभाने के लिए ही उसका जन्म हुआ है। पत्नी आधुनिक विचारों वाली महिला थी।
उसे खुद को सजाने संवरने से फुरसत ही नहीं मिलती थी। बच्चो की पढ़ाई-लिखाई की कोई प्रवाह ही नहीं थी। पति की आधी वेतन तो वह यूँ उड़ा देती।
ऊपर से घर में क्लेश का माहौल बना देती। ऊपर से सास-ससुर की कोई प्रवाह ही नहीं थी।आज सुबह से ही उसका मिजाज बिगड़ा हुआ था। पति पर बरस पड़ी- "पता नहीं ऐसे जीवन से कब छुटकारा मिलेगा, क्या जीवन भर तुम्हारे माँ-बाप का ठेका लेकर रखा है, माँ के इलाज के लिए देखो कैसे लाख रुपए निकल गए। कल जब मैंने १००० रूपये पार्टी के लिए माँगा तो मुझे खरी-खोटी सुनाया।
इतना सुनते ही रोहन की माँ भी शुरू हो गई, "क्या हमारा बेटा हमारे बीमारी का खर्च भी न उठा सकता।" निकल जा इस घर से मेरे पति ने बनवाया है। आधा बंगला किराये पर दूंगी तो भी हमारा गुजरा हो जाएगा। क्लेश सुनकर रोहन की आँखों से आंसू बहने लगे। बेचारा कमरे में जा कर खूब रोया और सोचने लगा, क्यों मैं बड़ा हुआ। माँ - बाप की छाया में जीवन कितना प्यारा होता है, काश यह बचपन फिर लौट आता।
दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलना, बारिश में भीगना, बारिश में भीग कर आने के बाद माँ का दौड़ के आना, डांट लगाना, फिर बालक को सर्दी हो जाएगी ऐसे डॉ से फटा फट आंचल से, भीगे सिर को पोंछना। माँ के हाथों का बना पकोड़े का तो क्या कहना। सच माँ-बाप और दोस्तों के साथ बिता बचपन कितना प्यारा होता है, फिर लौट आता यह बचपन।
अचानक दफ्तर से बॉस का फ़ोन आया और रोहन तैयार हो कर दफ्तर के लिए निकल पड़ा पर उसका मन अपने बचपन को याद कर प्रफुलित हो रहा था। वह सोच रहा था, मुझे कोई जादू की छड़ी मिल जाती और मैं अपने बचपन में लौट जाता और अचानक रोहन का मन एक प्यारी सी कविता बुदबुदाने लगी।
काश फिर लौट आता यह बचपन
कितना प्यारा होता है बचपन
वह दोस्तों के साथ हँसी-ठिठोली करना
छोटी-छोटी चीजों के लिए
रूठना फिर माँ का मनाना।
काश फिर लौट आता ये बचपन
वह दोस्तों के साथ बारिस में भीगना
माँ का गुस्साना फिर मेरा मनाना
माँ का रोते रोते गले लगाना
काश फिर लौट आता ये बचपन।