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Abhishek Hada

Drama

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Abhishek Hada

Drama

होली

होली

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आज सुबह से ही तन्वी के भाई प्रतीक को वह दो साल पहले की तन्वी याद आ रही है जो साल भर से होली का ही इंतज़ार करती रहती थी और होली से दस दिन पहले से ही पूरा घर सर पर उठा लेती थी। कभी माँ से ज़िद करके गुझिया बनवाती, तो कभी पापा के साथ बाजार जाकर रंगों की पूरी दुकान ही ले आती थी, स्कूल के अपने सभी दोस्तों के साथ खूब मस्ती करती थी और होली वाले दिन तो घर पर रुकती ही नहीं थी।

सबकुछ तो ठीक था उनकी जिंदगी में लेकिन एक दिन अपनी ड्यूटी से लौटते वक्त उसके पापा का एक्सीडेंट हो गया और घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई। यहीं से खत्म हो गया तन्वी का त्यौहार मनाना, खासकर कि होली क्योंकि तथाकथित समाज की नज़रों में उसकी माँ का होली पर, रंगों पर अब कोई अधिकार नहीं रहा था और उन्हें अपनी जिंदगी बेरंग लगे इससे बेहतर होगा कि होली ही न मनाई जाए, यही सोचकर दो साल से तन्वी ने होली नहीं खेली।

प्रतीक अपने ख़यालों से बाहर आया और कुछ सोचकर घर से बाहर चला गया और जब लौटकर आया तो उसके हाथों में गुलाल था, वह अपनी माँ के पास गया और उनको गुलाल लगाने ही वाला था कि तभी उसकी माँ चिल्ला पड़ी “ यह क्या कर रहा है प्रतीक, क्या तुझे पता नहीं मैं अब कभी होली नहीं खेलूंगी ” अपनी माँ की आवाज़ सुनकर तन्वी भी वहीं आ गई और चुपचाप सब देखने लगी।

“ पता है माँ कि इस समाज के नियमों के अनुसार आप होली नहीं खेलेंगी लेकिन क्या समाज ही सबकुछ है ? आपके दोनों बच्चे कुछ भी नहीं ? देखिए तन्वी को, उसने होली खेलना छोड़ दिया कि आपको दुख न हो, क्या इसे भी होली खेलने का हक नहीं ? और माँ किसने तय कर दिया कि आप होली नहीं खेल सकतीं, पापा के जाने के बाद आपने कभी भी हम दोनों को किसी चीज की कमी नहीं होने दी है और जिस माँ ने अपने दोनों बच्चों की जिंदगियों में खुशियों के रंग भर दिए हों, उस माँ की जिंदगी से रंग कभी नहीं जा सकते।

तोड़ दीजिए माँ इन नियमों को और एक बार फिर हम दोनों की जिंदगी में रंग भर दीजिए ” इतना कहकर प्रतीक ने अपनी माँ को गुलाल लगा दिया और इस बार उसकी माँ ने भी विरोध नहीं किया। यह सब देखकर तन्वी भी खुश हो गई और अपने भाई को गले लगा लिया और कहा “ थैंक्यू भैया जो करने की हिम्मत आपकी बहन नहीं जुटा सकी वो आपने कर दिखाया ”

“ चल अब रोना धोना बंद कर और जाकर होली खेल ” प्रतीक ने तन्वी के सिर पर थपकी देते हुए कहा तो तन्वी अपने दोनों हाथों में गुलाल पकड़े, घर से बाहर चली गई..... होली खेलने।


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