हमारी ज़िद हमारी सबसे बड़ी परेशानी है
हमारी ज़िद हमारी सबसे बड़ी परेशानी है
समझ नहीं आ रहा कहां से शुरू करूं, मेरा मतलब, हम इंसानों की ज़िन्दगी का हर दिन दूसरे दिन से जुड़ा हुआ होता है,
सीधे तौर पर बताऊं, तो जैसा मेरा आज का दिन गुजरा है - मैंने आज जो कुछ भी किया , आने वाले कल के दिन में उसकी अहम भूमिका रहेगी।
ख़ैर, कोशिश करता हूं कि आज से अपनी ज़िन्दगी का हर दिन लिखना शुरू करदुं :-
पिछले तीन दिन से मुझे बुरे बुरे सपने आ रहें है,
और दिन में मन भारी सा लगता है,
आपको बता दूं आज तारिक है 1 सितम्बर 2020, मैं हूं 17 साल का लड़का, नाम है किशन।
आज सुबह उठा, तो देखा, मां हाथ में गरम पानी का गिलास और दवाईयां लेकर अपने कमरे में गई,
मेरे पिता जी को हर रात सांस लेने में दिक्कत होती है, अब पता नहीं ये किस तरह की प्रॉब्लम है, लगभग 6 महीने पहले ये दिकत आयी थी।
अपने यहां के सिविल हस्पताल में भी दिखाया था डॉक्टर को, पर रिपोर्ट्स में कोई दिक्कत नहीं मिली,
डॉक्टरों ने कहा था रोज पानी की स्टीम लिया कीजिए,
दवाईयां तो पिताजी ले ही रहें थे, फिर बीच में सब ठीक था, पर अब फिर से ये प्रॉब्लम आ गई है।
मेरा एक बड़ा भाई है, उसका नाम है रिशभ, वो पास वाली फैक्ट्री में काम करता है,
सुबह वो अपना डेबिट कार्ड घर छोड़ कर गया, उसने मां को कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो इस क्रेडिट कार्ड पैसे निकाल लेना, पर आज ही पिता जी को दिखला कर लाओ,
अब आजकल कोरोनावायरस महामारी संसार में फैली हुई है, हमारे शहर में भी लगभग 368 संक्रमित लोग हैं,
अब मेरे पिताजी हॉस्पिटल जाने से डर रहें हैं, उन्हें डर है कि कहीं डॉक्टर उकना कोरोना टेस्ट ना कर दें क्योंकि उन्होंने कई बार न्यूज में लोगों को बोलते हुए सुना है,
example -
Reporter to patient's family : क्या दिक्कत आ रही थी आपके मरीज को?
Patient's family : कोई दिक्कत नहीं थी, वो बिल्कुल ठीक थे, अभी सुबह ही उन्होंने हमारे साथ खाना खाया, और यहां कोरॉना टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद, डॉक्टर ने उन्हें isolate किया और अभी (शाम) को उनकी मौत हो गई।
इस बात को सुनकर पिता जी समझ रहे थे कि कोरोनावायरस कुछ नहीं है, अगर आदमी घर में रहे तो शायद बच सकता है पर अस्पताल जाएगा तो पक्का मरेगा।
ख़ैर मेंने पिताजी बोहोत बार समझा दिया है कि कॉरोना नेगेटिव मरीज कि रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आ सकती,
पर फिर भी वो अस्पताल जाने से बोहोत कतरा रहें हैं, मां और मैंने कई बार उनकी डांट सुन ली है, वो नहीं मान रहे।
हम दोनों आज सारा दिन पिता जी के पास बैठे हैं। अब शाम हो चुकी है, रोज शाम को मेरे साथ सैर करने के लिए पड़ोस से एक लड़का आया है, उसका नाम धरमेश है,
आज भी आया वो रोज की तरह, पर आज मेरा सैर पर जाने का मन नहीं था, पर उसे मना भी कैसे करता, मैं फ्री ही था।
धरमेश बोला, " चल किशन, चलते हैं,
मैंने कहा चलो भाई,
अभी हम घर के बाहर ही गए कि मैंने उसके सर पर सफेद सा कुछ गिरा हुए देखा
पहली नज़र में मुझे लगा, पक्षियों द्वारा दिया गया प्रसाद है। 😆
और मैंने उसे कहा भाई तेरे सिर पर ऐसा कांड हो गया है, तो वो नहीं माना, ये तस्वीर मैंने उसे दिखाने के लिए ही खींची थी,
तस्वीर देखने के बाद वो बोला, चल भाई अब मैं घर चलता हूं, नहा धो कर वापिस आऊंगा,
तो मैंने उसे कहा, अब रात को आयेगा क्या? रहने दे अब कल आना,
इसके बाद मैं घर आ गया, और इस कहानी को लिखना शुरू करदिया, फिर रात का खाना खाया और सो गया,
बाकी कल कि कहानी जरूर पढ़ें।