Kavya Chaudhary

Drama

3.2  

Kavya Chaudhary

Drama

एक अनूठा प्रेम

एक अनूठा प्रेम

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66


एक बात दिल में आती है जिससे रहता हूं बहुत उदास पर यह नहीं है कुछ खास कुछ साल पहले जब वो आई तो जिंदगी जन्नत थी और आज उसके जाने के बाद जिंदगी जिल्लत वह प्यार शायद सच्चा था सारी कायनात से अच्छा था प्यार हमारा ऐसा था चांद सितारों जैसा था प्यार के इस खेल में सब कुछ हमने खोया था फिर जिंदगी भर रोया था कुछ चंद 

 बातों की खातिर जब वह छोड़ कर जाती है एक बात समझ में आती है कि प्यार से भी बढ़कर एक बार प्यार होता है जो तुम्हारे भूखे होने पर खुद भी भूखा सोता है यह प्यार और कोई नहीं मां बाप का होता है यह तुमसे कुछ नहीं लेते है उल्टा तुमको सब देते हैं एहसान इनके इतने हैं आसमान में तारे जितने हैं जाड़े की कड़क ठंड यह पुराने कपड़ों में ही बताते हैं और तुम्हारे लिए यह नए स्वेटर कंबल लाते हैं ।

मीलों का सफर तय करते हुए हमको कंधों पर बिठाते हैं तनिक नहीं घबराते और अपनी मंजिल मिलने पर हम इनको भूल जाते हैं और इनके एहसानों को उनका कर्तव्य बताते हैं तभी हम उनकी परवरिश को गलत सिद्ध कर जाते हैं हम सभी हैं किस्मत वाले जो इतनी पावन मां पाई है और पापा का तो कहना क्या वह तो हमारी परछाई है सूखे में हमें सुलाती हैं गीले में खुद सो जाती हैं हमारी तुम्हारी चंद खुशियों के कारण खुद का दुख पी जाती हैं जो तूफानों से भी लड़ कर तुम्हारे लिए रोटियां पकाती हैं वह मां कहलाती हैं जो हौसलो आदर्शों की भट्टी में तुम्हें तपाकर बनाती हैं वह मां कहलाती है जो छोटी सी आशा से पूरा संसार बनाती हैं वह मां कहलाती है जो साधारण बच्चे को ज्ञानी पुरुष बनाती हैं वह मां कहलाती है मां एक व्यापक शब्द नहीं वह एहसास निराला है जिसको कहने के लिए यदुनंदन भी मतवाला है।


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