एक अधूरी कहानी
एक अधूरी कहानी
खुशमिजाज सुनीता नाम की लड़की जो अपने आप में मस्त रहने वाली हैं
अपने कॉलेज के टाइम की album देख रही होती है। अचानक उसकी नजर हरीश नाम के लड़के की फोटो पर पड़ती है। और वो अपनी पिछली दुनिया में खो सी जाती है।
वो कॉलेज के दिन मस्ती भरे लम्हे उसे याद आने लगते हैं।
जब हरीश ने पहली बार बातों बातों में उससे कहा था सुनीता तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो।
सुनीता शरमाते हुए बोली अच्छा जी आपने आज देखा हम तो पहले से ही खूबसूरत हैं और यह हंसी मजाक ऐसे ही चलता रहा। बातों का सिलसिला धीरे धीरे गहरा होना शुरू हो गया।
हरीश -क्या सुनीता अब तो बिल्कुल भी दिल नहीं लगता तेरे बिना। यार ज्यादा नहीं दिन में एक बार तो बात कर लिया करो,
सुनीता - हां हां हरीश जरूर तुम ही तो मेरे बेस्ट फ्रेंड हो तुमसे बात नहीं करूंगी तो कैसे करूंगी
दोनों मुस्कुराने लगते हैं, फिर अचानक हरीश की निगाहें सुनीता के चेहरे पर जा टिकती हैं और वह सुनीता को कहता है सुनीता शायद मुझे तुमसे प्यार हो गया है, सुनीता- अरे यह क्या है प्यार वो भी मुझसे
हम अच्छे फ्रेंड हैं ,अच्छे फ्रेंड ही रहेंगे प्यार वियार भूल जाओ, यह कहकर सुनीता घर आ जाती है।
अगले दिन जब सुनीता कॉलेज जाती है तो उसका सामना फिर हरीश से होता है सुनीता नजर चुराते हुए वहां से जाने की कोशिश करती है पर हरीश अचानक से उसको आवाज देकर रोक लेता है।
सुनीता प्लीज ऐसे आँखों फेर कर मत जाओ, मेरी भावनाओं को समझो
कुछ नहीं चाहिए मुझे तुमसे, बस एक तेरा साथ चाहता हूं,
अगर वो भी नहीं देना चाहती तो मैं आपसे वादा करता हूं कि तेरे सामने भी नहीं आऊंगा, बस जाते जाते एक बात कहना चाहता हूं मैंने तुझे मन से दोस्त से भी कहीं ज्यादा मान लिया है,
तुम मेरी सिर्फ दोस्त नहीं है मैं तुम्हें अपने मन मंदिर का खुदा मान चुका हूं,
बस यही कहना था अब मैं तुम्हारे सामने भी नहीं आऊंगा तुम खुश रहो। यह कहकर हरीश चला जाता है।
सुनीता की आँखों के सामने हरीश की यह बातें बार-बार घूमने लगती हैं,
शायद कहीं ना कहीं सुनीता को भी हरीश अच्छा लगने लगता है,पर
हरीश वापस नहीं आता,
और सुनीता के मन की बात मन में रह जाती हैं।
अचानक सुनीता का पति बृजेश आवाज लगाता है सुनीता क्या कर रही हो ? कहां ख्यालों में खोई हुई हो?
सुनीता अचानक वर्तमान में आ जाती है। हरीश की बातें अब भी उसकी दिमाग में घूम रही होती है।
सुनीता धीमी आवाज में बोलती है, बस कुछ ज्यादा गया था।
एक अधूरी कहानी जो कभी पूरी नहीं हो पाई।