Aditya Karhade

Thriller

2.4  

Aditya Karhade

Thriller

डिटेक्टिव वेक्टर - A

डिटेक्टिव वेक्टर - A

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महाराष्ट्र मे बारिश का मौसम शुरू हो गया था। मणिपुर (शहर) में ज़ोर ज़ोर से बारिश हो रही थी। सुबह आसमान साफ होते ही हर दिन की तरह लोग आज भी सुबह सुबह उठकर मणिपुर गार्डन में जॉगिंग कर रहे थे। जॉगिंग ट्रैक पर जब लोग चल रहे थे तो कुछ लोगों ने देखा वहां बेंच के पीछे एक लाश पड़ी है। सब लोग डर के मारे चिल्लाने लगे "लाश लाश"। 

उसी वक्त वहां जॉगिंग करने आए एक आदमी- जिगर ने डिटेक्टिव वेक्टर को कॉल लगाया और लाश के बारे में बताया।

भीड में से किसीं आदमी ने जिगर से पूछा~

• आदमी ~भाईसाहब ये डिटेक्टिव वेक्टर कोन है?

• जिगर~ डिटेक्टिव वेक्टर शहर के जानेमाने डिटेक्टिव है। उन्होंने अभी तक अपने जीवन काल में कई केसेस सॉल्व किए है और हर केस के गुनहगार को जेल की सलाखों के पीछे डाला है। पुलिस भी जब केस सॉल्व नहीं कर पाती तो उनसे ही मदद लेती है। उनका रिकॉर्ड है, उन्होंने जो भी केस हाथ में लिया है, उसे सॉल्व कर केही दिखाया है। उनके पास आधुनिक गैजेट्स है जिनकी मदद से वो केस को आसानी से सॉल्व करते है। 

मैं उनका बहुत ही बड़ा फैन हूं। उनके साथ काम करना मेरा सबसे बड़ा सपना है। देखो वो आ गए!!


डिटेक्टिव वेक्टर एक लंबि सी काली गाड़ी में आए। सूटबूट पहनकर, आँखो पर काला चश्मा, चेहरे पर तेज, उनके एक हाथ में सिगार और एक हाथ में लम्बी सी काली लाठी थी, जिस पर पकड़ने के लिए चांदी से बना हुआ हैंडल भी था।

वो जैसे ही गाड़ी से उतरे जिगर ने उनसे हाथ मिलाकर कहा ~

• जिगर~ हेल्लो सर, मैने ही आपको थोड़ी देर पहले कॉल किया था। 

• वेक्टर~ हेल्लो, नाम क्या है तुम्हारा? 

• जिगर~ सर, मेरा नाम जिगर है। मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूं सर। मैंने आपके सभी केसेस के बारे में पढ़ा है। सर आपके साथ काम करना मेरा बहुत बड़ा सपना है। 

• वेक्टर~ अच्छा!! 

• जिगर~ हाँ सर, मैं आपका असिस्टेंट बनना चाहता हूं। प्लीज़ सर, मुझे आपके साथ काम करने का मौका दीजिए। मैं आपको शिकायत एक भी मौका नहीं दूंगा।

• वेक्टर~ ये तो अच्छी बात है। एजुकेशन क्या है तुम्हारा? और क्या करते हो? 

• जिगर~ सर, मैं एक क्रिमिनोलॉजीस्ट हूं। मैंने कई सारे क्रिमिनल्स और उनकी क्रिमिनल्स सायकोलॉजी के बारेमे स्टडी की है। मेरा एजुकेशन अभी अभी खत्म हुआ है और मैं कल ही अमेरिका से इंडिया लौटा हूं।

• वेक्टर~ ओह! तो तुम एक क्रिमिनोलॉजीस्ट हो, और मेरे साथ काम करना चाहते हो। तो ठीक है देखते है तुम सचमे मेरे असिस्टेंट बनने के काबिल हो भी या नहीं। इस मर्डर केस में मेरी मदद करो। अगर मुझे लगा कि तुम सच में मेरे असिस्टेंट बनने के काबिल हो तो तुम मेरे साथ काम कर सकते हो। ठीक है?

•जिगर~ थैंक्यू सो मच सर !! मुझे ये मौका देने के लिए, मैं आपको साबित करके दिखाऊंगा की मैं आपका असिस्टेंट बनने के काबिल हूं।

• वेक्टर~ ओके, चलो दिखाओ लाश कहाँ है।

• जिगर~ यस सर, आईये मेरे साथ।


जिगर और वेक्टर दोनों उस घटना स्थल पर पहुंचते है। तब तक पुलिस भी वहां आ चुकी होती है। 

वेक्टर लाश की जांच करते है।

• वेक्टर~ खून तो ताज़ा लग रहा है, इसका मतलब मर्डर हुए ज्यादा देर नहीं हुई है। ज़रा चेक करो कुछ मिलता है क्या उसके पास।

• जिगर~ यस सर।

लाश को चेक करने के बाद-

• जिगर~ सर, लाश के पास से ये वॉलेट मिला है। इसका नाम दीनानाथ मिश्रा है। 

• वेक्टर~ दीनानाथ! अच्छा और कुछ मिला ? उसका एड्रेस वगेरा? 

• पांडे (इंस्पेक्टर)~ हाँ वेक्टर, हमें लाश के पास से ये ड्राइविंग लाइसेंस मिला है। ये शक्ति नगर में रहता था। 

• वेक्टर~ शक्ति नगर!!? कहीं ये वो मशहूर प्रॉपर्टी डीलर दीनानाथ मिश्रा तो नहीं?

• पांडे~ वो "मिश्रा रियल एस्टेट" का मालिक!!?

• वेक्टर~ हाँ, वहीं! 

• पांडे~ अच्छा में उसके घर जाकर उसके परिवार वालों को खबर कर देता हूं। तुम लाश को लेकर फोरेंसिक लैब चले जाओ। बहुत बेहरमी से मारा गया है इसे। पता नहीं उसके जिंदा न रहने की बात सुनकर उसके परिवार पर क्या बीतेगी। अच्छा मैं निकलता हूं। और कुछ पता चले या किसी भी मदद की जरूरत हो तो कॉल करना। चलता हूं।

• वेक्टर~ हाँ!...जिगर तुम मेरे साथ चलो। 

• जिगर~ यस सर, चलिए।


दोनों वेक्टर के ऑफ़िस पहुंचते है। ऑफिस के बाजु में ही फोरेंसिक लैब है। वहां पहुँचकर वेक्टर, जिगर की मुलाकात डॉ.विशाखा से कराते है।

• वेक्टर~ जिगर इनसे मिलो ये है हमारी फोरेंसिक डॉक्टर डॉ.विशाखा।

केस में मिलने वाले सभी लाशों की जांच यही होती है और जांच डॉ.विशाखा करती है। और डॉ.विशाखा ये है जिगर, ये क्रिमिनोलॉजीस्ट है, ये हमारे साथ काम करना चाहता है। अगर केस सॉल्व करने में इसका बहुत बड़ा हाथ रहा तो ये हमारे साथ यही काम करेगा। 


• डॉ.विशाखा~ हेल्लो जिगर वेलकम!!

• जिगर~ हेल्लो डॉ.विशाखा, थैंक्यू!!

• वेक्टर~ डॉ.विशाखा ये है हमारे आज के केस की डेड बॉडी। ये बॉडी दीनानाथ मिश्रा की है जो "मिश्रा रियल एस्टेट" का मालिक है। हमे इसकी लाश मणिपुर गार्डन में मिली । इसकी पोस्टमॉर्टम के लिए इसे हम आपके पास लाए है। तो अब यहां से आप संभालिए, हम चलते है, पर जैसे ही फोरेंसिक रिपोर्ट आती है हमें ज़रूर आके बताए। 

• डॉ.विशाखा~ जी सर जरूर!


वेक्टर, जिगर को लेकर अपने मेन ऑफ़िस में आते है और उसे अपना ऑफ़िस दिखाते है। 

जिगर का मुंह डि.वेक्टर का ऑफ़िस देखकर खुला का खुला ही रह जाता है। 

बड़ा सा ऑफ़िस, उसमे चार छोटे कमरे और एक केबिन था। एक कमरा हथियारों और गैजेट्स के लिए था। दूसरा क्रिमिनल के रेकॉर्ड्स के लिए और उसी कमरे मे दीवार पर महाराष्ट्र के सबसे बड़े मुजरिमो की तस्वीरें लगी हुई थी। तीसरे कमरे में कंट्रोल रूम था जहाँ से सभी चीजों पर नजर रखी जा सकती थी। वहां एक चौथा कमरा भी था पर उस कमरे पर बड़ा सा ताला लगा हुआ था जिसपर किसी भाषा में कुछ अक्षर लिखे हुए थे पर जिगर को समझ में नहीं आया की उसपर लिखा क्या था। उसने ऊपर देखा तो दरवाज़े पर लिखा हुआ था "Do Not Enter" (अंदर जाना मना है)। 

उसने वेक्टर से पूछा -

• जिगर~ सर, यहां इस कमरे में क्या है? इस पर ये ताला क्यों लगा हुआ है? इस पर कुछ लिखा भी है पर क्या लिखा है समझ में नहीं आ रहा। क्या आप बता सकते है इस कमरे में क्या है और दरवाज़े पर "Do Not Enter" क्यों लिखा हुआ है?

• वेक्टर~ अरे उस कमरे में कुछ जरूरी फाइल्स और डॉक्युमेंट्स है। अक्सर यहां जब मैं नहीं होता हूं तो कुछ लोग उसे चुराने आते है। बस इसी लिए वहां ताला लगा हुआ है और कुछ नहीं।

• जिगर~ पर सर इस ताले पर लिखा क्या है?

• वेक्टर (हल्के से चिल्लाते हुए)~ उसे छोड़ो जिगर!! इधर आओ। मैं तुम्हें बाकी कमरे दिखता हूं।

• जिगर~ यस सर।

वेक्टर का इस तरह जिगर पर चिल्लाना जिगर को अजीब लगा। उसे समझ गया कि वेक्टर ज़रूर कुछ छुपा रहा है। उस दरवाज़े के पीछे ज़रूर कुछ है! उसने सोचा वो बाद मे उसे खोलकर ज़रूर देखेगा। तो वो वहां से फिलहाल चला जाता है।


• वेक्टर~ देखो जिगर ये मेरा केबिन है। यहाँ पर मैं अपना सारा काम करता हूं। सारे कॉल्स और क्लाइंट्स यहिसे अटेंड करता हूं। यहां इस दीवार पर शहर का पूरा डिजिटल मैप है। ये ऑफ़िस के फोन से कनेक्टेड है। तो अगर ऑफ़िस के फोन पर जहाँ से भी कॉल आता है तो मैप पर उस जगह रेड स्पॉट एक्टिव हो जाता है जिससे कि कॉल कहाँ से आ रहा है मुझे पता चल जाता है।

वो वेपंस का कमरा है, वहां सारे हथियार और आधुनिक गजेट्स रखे हुए है जिनकी मदद से हम केस ईजिली सॉल्व कर सकते है।

उसके बाजु मे कंट्रोल रूम है। जहाँ से हम ऑफ़िस के सभी तरफ की जो कुछ भी हो रहा है उसपर नजर रख सकते हैं।

कंट्रोल रूम के सामने वाले रूम में क्रिमिनल्स के सारे रेकॉर्ड्स है, जैसेकी उनकी तस्वीरें, उनकी गुनाहों कि फाइल्स, वगैरा वगैरा। और उसी कमरे में दीवार पर जो तस्वीरें लगी हुई है वो महाराष्ट्र के बड़े बड़े गुनेहगारों की है जो महाराष्ट्र में खुले आम घूम रहे हैं जिनका पकड़ा जाना बहुत जरूरी है। 

और उसके बाजु मे जो कमरा है उसे तो तुम देख ही चुके हो। 

• जिगर~ वाओ सर!! आपका ऑफ़िस तो बहुत ही सुंदर और एडवांस है। मुझे बहुत पसंद आया। पर सर उस कमरे में क्या है, मुझे देखना है, क्या में उसे खोलकर देख सकता हूं? 

• वेक्टर(मुस्कुराते हुए)~तुम ऐसे नहीं मानोगे। मैंने कहा ना वहां हा बस कुछ जरूरी कागज़ात है। फिर भी अगर तुम ज़िद करते हो तो मैं बता दूँ कि वक्त आने पर तुम्हें अपनेआप पता चल ही जाएगा कि वहां क्या है। ठीक है?

• जिगर~ ठीक है सर, आप कहते है तो मैं वहां नहीं जाऊँगा।

• वेक्टर~ गुड! चलो मुझे कुछ काम है, तो मैं जाते जाते रास्ते में तुम्हें भी छोड़ दूँ।

• जिगर~ जी सर! चलिए, बहुत अच्छा लगा आप से मिलकर। 

• वेक्टर~ मुझे भी, चलो।


अगले दिन -


वेक्टर और जिगर ऑफ़िस पहुंचे है। तभी डॉ.विशाखा वहां फोरेंसिक रिपोर्ट लेकर आती है। 

• विशाखा~ गुड मॉर्निंग सर! गुड मॉर्निंग जिगर!

• जिगर~ गुड मॉर्निंग, डॉ​.विशाखा। 

• वेक्टर~ गुड मॉर्निंग विशाखा। आज सुबह सुबह यहां कैसे? क्या फोरेंसिक रिपोर्ट आ गई!?

• विशाखा~ हाँ सर! आ गई। बस वही दिखाने लाई हूं। चलिए दिखती हूं। तुम भी आओ जिगर।

• जिगर~ जी, चलिए।

• वेक्टर~ आओ, बैठो। बताओ क्या कहती है मिश्रा की फोरेंसिक रिपोर्ट? 

• विशाखा~ हाँ तो मैं कह रही थी- मैंने कल बॉडी का पोस्टमॉर्टम किया, ये उसी की रिपोर्ट है।

कल आपके जाने के बाद मैंने बॉडी को चेक किया तब बॉडी के बाए हाथ पर खून से "S" लिखा हुआ था। शायद मिश्रा अपने खूनी का नाम लिखने जा रहा था, पर उसी वक्त उसकी मृत्यु हो गई होगी। इसलिए वो सिर्फ "S" ही लिख पाया। हमे अब इतना पता चल गया है की खूनी का नाम "S" से शुरू होता है।

उसके बाद पता चला कि खून एक तरह से नहीं बल्कि दो प्रकार से किया गया है। 

• जिगर~ दो!!?

• वेक्टर~ अच्छा!!कैसे?

• विशाखा~ हाँ सर दो प्रकार से। खूनी ने पहले मिश्रा को जहर दिया, ये जहर मुझे खाने में मिला। उसके बाद खूनी ने मिश्रा के पीठ पर वार किया, फिर दो बार आगे से पेट पर वार किया। वार किसी धारदार हथियार से किया गया है। जैसे चाकू या फिर कैंची! 

• वेक्टर~ क्या बेदर्दी से मारा है उसे। जहर दिया ही था तो फिर चाकु से मारा ही क्यों!?

• जिगर~ सर हो सकता है खूनी को लगा हो कि अगर मिश्रा जहर से ना मरा तो किसी हथियार से ही मार दूँ! शायद जहर उसे मारने में वक्त ले रहा हो और खूनी चाहता हो कि मिश्रा जल्द से जल्द मरे!!

• वेक्टर~ हाँ हो सकता है! उसके परिवार वालों से मिलना होगा। वहीं से हमें कुछ पता चलेगा, और हो सकता है वहां से हमें हमारा पहला सुराग भी मिल जाए।

रिपोर्ट के लिए थैंक्यू विशाखा। अब मैं जल्द ही उस कातिल को पकड़ लूँगा।

• विशाखा~ यही तो मेरा काम है सर। चलिए अब मैं भी निकलती हूं, मेरी जांच अभी शुरू है और कुछ पता चला तो मैं आपको ज़रूर बताऊंगी। गुड लक फॉर द केस सर ! जल्द ही उस कातिल को पकड़िये।

• वेक्टर~ थैंक्यू! चलो अब हमें निकालना चाहिए।

• जिगर~ जी सर चलिए। बाय विशाखा जी!

• विशाखा~ बाय!

वेक्टर और जिगर मिश्रा के घर पहुंचते है और उसके घरवालों से पूछताछ करते है -

• वेक्टर~ नमस्ते! 

• घरवाले~ नमस्ते!

• वेक्टर (घरवालों से)~ माफ़ करना ऐसे समय में हम आप सबको तकलीफ़ दे रहे है पर क्या करे, कातिल को पकड़ने के लिए पूछताछ तो करनी ही पड़ेगी और यही तो हमारा काम है।

• विकास(दीनानाथ का बेटा)~ जी डिटेक्टिव, हम समझ सकते है। बस आप पापा के कातिल को जल्द से जल्द पकड़िये, मैं उसे छोड़ूंगा नहीं। उसने पापा को बहुत बेरहमी से मारा है। 

• वेक्टर~ देखिए आप कानून हाथ में नहीं ले सकते। वैसे हमने हमारी जांच शुरू कर दी है जल्द ही वो कातिल जेल की सलाखों के पीछे होगा! आप निश्चिंत रहे। और मुझे बताइए क्या आपके पापा का कोई दुश्मन था? 

• विकास~ नहीं डिटेक्टिव, ऐसा तो कोई भी नहीं था। पापा बहुत अच्छे इंसान थे। उनका कोई दुश्मन कैसे हो सकता है?

• वेक्टर~ अच्छा! तो क्या कोई ऐसा आदमी है जिसकी दीनानाथ जी के साथ लड़ाई हुई हो ? या फिर किसी ने उन्हें मारने की धमकी दी हो?

• विकास~ नहीं सर हमें कुछ नहीं पता। पर सर, पिछले कुछ दिनों से पापा बहुत बदले बदले से लग रहे थे! वो किसी से ज्यादा बात चीत नहीं करते थे। वो कुछ डरे डरे से भी लग रहे थे। हमने उनसे पूछा भी, पर वो किसी को बता नहीं रहे थे। बार बार बात को टाल दिया करते थे। कुछ तो है सर, जो वो हमसे छुपा रहे थे!

• वेक्टर~ अच्छा!? क्या वो उनकी बातों में किसी का नाम ले रहे थे? मेरा मतलब है क्या उनकी बातों में किसी व्यक्ति का जिक्र होता था?

• विकास~ हाँ सर हाँ !! याद आया, कुछ दिन पहले घर पर एक आदमी आया था। पर पापा उसे लेकर अपने कमरे में चले गए। मुझे अच्छी तरह याद है वो वहीं आदमी था जिसे कुछ महीनों पहले पापा ने अपनी एक जमीन बेची थी। मुझे थोड़ा अजीब लगा क्युकी पापा हमेशा अपने क्लाइंट्स के साथ यही हाल में बातें करते थे। फिर उसको ऊपर क्यों लेकर गए? फिर मैंने सोचा कि कुछ जरूरी काम होगा इसलिए वो ऊपर गए होंगे। 

पर उसके कुछ समय बाद ही उपर से ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़े आ रही थी! 

फिर जब वो आदमी बाहर आया तो पापा से कहा, "मुझे मेरे पैसे वापिस चाहिए! मुझे नहीं चाहिए तुम्हारी ज़मीन!" 

बस ये कहकर वो यहाँ से चला गया।

उसके बाद भी पापा हमें कुछ नहीं बता रहे थे। (रोते हुए)और उसके दो दिन बाद ही पापा को किसी ने मार दिया!!

• वेक्टर~ संभालिए अपने आप को। 

क्या मैं जान सकता हूं कि वो आदमी कौन था? 

• विकास~ नहीं सर मुझे सिर्फ उसका चेहरा याद है नाम तो नहीं पता लेकिन पापा अपने सारे प्रॉपर्टी डील्स के डॉक्युमेंट्स अपने कमरे मे ही रखते थे। शायद उस आदमी की फाइल भी वही हो और उसके के बारे में कुछ पता चल जाए।

• वेक्टर~ अच्छा!! जिगर एक काम करो, ऊपर जाओ और दीनानाथ जी के कमरे की अच्छे से तलाशी लो, देखो कुछ मिलता है क्या।

• जिगर~ यस सर।

• सोनम (दीनानाथ की बहु)~आइये मैं आपको उनका कमरा दिखती हूं।

• विकास~ जी चलिए में भी आपके साथ आता हूं।

• वेक्टर(दीनानाथ की पत्नी से)~ घर में कितने स्टाफ है?

• सुमित्रा(दीनानाथ की पत्नी)~ जी तकरीबन चार लोग हमारे यहां काम करते है। एक ड्राइवर, एक माली, एक सर्वेंट और एक बाई। 

• वेक्टर~ और सबकी टाइमिंग क्या क्या है?

• सुमित्रा~ ड्राइवर सुबह ७ से रात १० बजे तक यहाँ काम करता । 

माली सुबह ८ बजे और श्याम को ५ बजे आकर पेड़ो को पानी देकर चला जाता है। 

सर्वेंट और बाई पति पत्नी है। दोनों मिलकर घर के काम करते है। दोनों सुबह ७ बजे आते है और श्याम को ७ बजे घर चले जाते है।

• वेक्टर~ अच्छा! ये लोग कबसे काम कर है आपके घर? इनमें से आपको किसी पर शक है?

• सुमित्रा~ जी नहीं सर! सभी हमारे यहां बहुत सालों से काम कर रहे हैं। वो लोग ऐसा कर ही नहीं सकते। हमे उन सभी पर पूरा विश्वास है। वो सब अच्छे लोग है। 

• वेक्टर~ वो लोग निर्दोष है या नहीं ये हम तय करेंगे आप नहीं!

• सुमित्रा~ ठीक है! आपको जो करना है वो कीजिए पर मेरे पति के कातिल को जल्द से जल्द ढूंढ निकालिए।

• वेक्टर~ जी 

जिगर दीनानाथ जी के कमरे की तलाशी लेकर विकास और सोनम के साथ नीचे आता है। 

• जिगर~ सर ये रही वो फाइल जिसके बारे मे विकास जी बता रहे थे। इसका नाम 'मंगेश देसाई' है। 

• विकास~ हाँ सर, ये उसी की फाइल है जो उस दिन पापा से मिलने आया था। इसमें जो तस्वीर है वो उसी की है। 

• वेक्टर~ अच्छा, दिखाओ।

वेक्टर फाइल चेक करता है। फ़ाइल में लिखा हुआ होता है कि दीनानाथ जी ने मंगेश देसाई को एक एकड़ जमीन बेची थी। 

• वेक्टर~ तो ये है वो इंसान जो उस दिन दीनानाथ जी से मिलने आया था। पर ऐसा क्या हुआ होगा कि वो दीनानाथ जी को ज़मीन वापिस करना चाहता था? 

कुछ तो गड़बड़ ज़रूर है!

वेक्टर के इतना कहते ही बाहर से दो बार गोली चलने की आवाज़ आती है,"ठाय ठाय!!"

गोली की आवाज़ सुनकर सब बाहर की ओर भागते है। बाहर आते ही देखते है कि सर्वेंट ज़मीन पर पड़ा हुआ था। उसके सीने पर दो गोलियां लगी हुई थी। वो किसी की और इशारा कर रहा था। वेक्टर ने देखा तो कार के पीछे काले कपड़ों में एक आदमी खड़ा था जिसके हाथ में पिस्तौल थी और वो सभी को आते देखकर भागने लगा। 

• वेक्टर(जिगर को उस आदमी की तरफ इशारा करते हुए)~ जिगर जल्दी!! उसका पीछा करो।

• जिगर~ जी सर!! 

जिगर भागते हुए उस आदमी का पीछा करता है। वो आदमी जिगर को अपने पीछे आता देख, उसपर भी गोलियां चलने लगता है। पर जिगर किसी तरह बचकर उसका पीछा किए जाता है।

इधर सिने पर दो गोलियां लगने के कारण सर्वेंट बहुत जख़्मी हो जाता है और वेक्टर से कहता कि, "दीनानाथ जी का खून स... स..." और उसके इतना कहते ही वो बेहोश हो जाता है।

उधर भागते भागते आखिर कार जब उस आदमी की सारी गोलियां खत्म हो जाती है तो जिगर ज़ोर से दौड़कर उसे पकड़ लेता है।

• आदमी(बचने की कोशिश करते हुए)~ छोड़ो मुझे छोड़ो! जाने दो मुझे, जाने दो।

• जिगर~ अरे ऐसे कैसे जाने दूँ। तुमने काम ही ऐसा किया है!! तुम्हें तो गोल्ड मेडल मिलना चाहिए, चलो मेरे साथ चलो मैं तुम्हें दिलाता हूं तुम्हारा गोल्ड मेडल, चलो!


जिगर उसे पकड़कर वेक्टर के पास लाता है। 

• जिगर ~ सर यही था वो आदमी जो इसे गोली मारकर भाग रहा था। जरा इसे इसका गोल्ड मेडल तो दे दीजिए!

वेक्टर जोर से उसे थप्पड़ मारता है और उसकी कॉलर पकड़ता है। 

• वेक्टर(चिल्लाकर)~ क्यों मारा तुमने उसे!!? क्यों मारा? क्या बिगाड़ा था उसने तुम्हारा? जवाब दो!

• आदमी(झटपटाते हुए)~ नहीं बताऊंगा! क्या कर लोगे?

वेक्टर तभी अपनी गन निकलता है और उसके कान के नज़दीक से फायर करता है- "बताओ, बताते हो या चलाऊ गोली?"

आदमी डर जाता है और डर के मारे वेक्टर से कहता है -

• आदमी~ ठीक है ठीक है बताता हूं, बताता हूं, पर गोली मत चलाना!

• वेक्टर~ बताओ फिर, क्यों मारा इसे और कैसे जानते हो तुम इसे? 

• आदमी~ मेरा नाम राजू है। मकरंद(सर्वेंट) और मैं हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। हम दोनों बहुत ग़रीब थे। पर शादी हो जाने के बाद मकरंद और उसकी पत्नी सोनू यहां आकर काम करने लगे और उनकी हालत धीरे धीरे अच्छी होने लगी। पर मैं वहीं का वहीं रहा। मुझे हमेशा पैसों की जरूरत पड़ती रहती थी, मेरी हालत देखकर मकरंद मुझे हर महीने अपनी आमदनी से कुछ पैसे लाकर देता था। हम रोज़ चाय के समय यही आगेवाले चौराहे पर मिला करते थे और चाय पीते थे। महीने के अंत में मुझे वो पैसे वहीं लाकर देता था। एक हफ्ते पहले हम वहीं मिले और उसने मुझे कुछ पैसे लाकर दिए। चाय पीते ही मकरंद काम है कहकर वहां से चला गया। मै भी निकल ही रहा था कि, मुझे एक आदमी मिला। वो कह रहा था की वो मेरी हालत सुधार सकता है। मुझे ढेर सारे पैसे दे सकता है फिर मुझे यूं मकरंद से पैसे नहीं मांगने पड़ेंगे।

• वेक्टर~ कौन था वो? 

• राजू~ पता नहीं सर, उसने हेलमेट पहना था। जिसकी वजह से में उसका चेहरा देख नहीं पाया। मैंने उससे पूछा भी कि वो कौन है और मेरी मदद क्यों करना चाहता है? पर उसने कहा कि,"मैं कौन हूं ये जरूरी नहीं, फिलहाल तुम्हारे लिए पैसे ज्यादा जरूरी है या नहीं?"

मैं उसे ना भी नहीं कह सकता था क्योंकि मुझे सच मे पैसों की बहुत जरूरत थी।

• जिगर~ पर ऐसी भी कौन सी मुसीबत आ गई थी तुम पर की तुम्हें पैसों की इतनी जरूरत आन पड़ी?

• राजू~ कुछ समय पहले मुझे जूए की लत लग गई थी। मैंने जूए के चक्कर में आकर कई पैसे गँवा दिए थे। उसके चक्कर में, मैने एक गुंडे से पैसे भी कर्जे पर लिए थे। पर में वो भी हार गया था। वो मुझे धमकी दे रहा था, की मैं उसे उसके पैसे जल्द से जल्द लौटा दूँ। मैने उसके बहुत हाथ -पैर जोड़े। मैने उससे कहा भी कि में धीरे धीरे करके उनके सारे पैसे लौटा दूँगा। तो उसने मुझे ८ महीनों की मोहलत दे दी। इसलिए में मकरंद से भी कुछ पैसों की मदद ले रहा था। मकरंद ये बात जानता था कि में जूए में पैसे हार गया हूं और अब मुझे पैसों की बहुत जरूरत है । इसलिए वो भी मेरी मदद कर रहा था। 

इसलिए जब उस आदमी ने मुझे पैसों का ऑफर दिया तो मैंने हाँ कर दी।

• वेक्टर~ और वो ऑफर किस चीज की थी?

• राजू~ उस आदमी ने मुझे १० हजार रुपए दिए और कहा," तुम्हें मेरा एक काम करना होगा, बदले में में तुम्हें १ लाख रुपए दूँगा! ये कुछ १० हजार एडवांस है इसे रख लो।" मैने कहा ठीक है, मुझे क्या काम करना पड़ेगा? तो उसने कहा,"ये जो तुम्हारा दोस्त है उससे कहो की वो उसके मालिक दीनानाथ को मार दे!! उससे कहो कि अगर उसने मेरा काम नहीं किया तो मैं उसकी पत्नी को मार दूँगा और यदि उसने किसी को ये बात बताई या पुलिस को मदद मांगने की कोशिश भी की ना तो उसके बेटी को भी उसकी पत्नी के साथ मार दिया जाएगा!!" 

सर मैं बहुत डर गया था। मैंने उससे कहा भी कि मुझे तुम्हारा ये काम नहीं करना पर उसने मुझे भी मारने की धमकी दी। उसने मुझे पिस्तौल भी दिखाई और फिर से १० हजार रुपए दिए और कहा,"२ लाख दूँगा और मकरंद को भी, बस मेरा ये छोटा सा काम कर दो।"

मुझे बहुत डर लग रहा था सर, अगर में उसे ना कहता तो वो मुझे मार देता। और वैसे भी मुझे पैसों की जरूरत तो थी ही। इसलिए उसने मुझे जैसा करने को कहा मैंने वैसा ही किया और मकरंद को भी दीनानाथ जी को मारने के लिए मना लिया।

• जिगर~ तो क्या मकरंद भी लालच में आकर दीनानाथ जी को मारने के लिए मान गया?

• राजू~ नहीं सर!! उसे तो पैसों का जरा भी लालच नहीं था। वो तो बस अपनी पत्नी और बेटी को बचाना चाहता था। उसने तो यहाँ तक कहा दिया था कि उसके पैसे भी मैं ही रख लूं और उन पैसों से अपने कर्ज के पैसे वापिस करके जो पैसे बचे उनसे अपनी नई जिंदगी शुरू करूँ।

• वेक्टर ~ ओह, फिर क्या हुआ ?

• राजू ~ मैंने मकरंद को जहर लाकर दिया और कहा कि दीनानाथ के खाने में मिलाकर दे। उसने वैसा ही किया और दीनानाथ को खाने में मिलाकर दे दिया। जहर देने के ५ मिनट बाद वो किचन में आया और उसने मुझे कॉल किया। मैं और वो आदमी बाहर ही बैठे थे। ये खबर सुनकर उस आदमी ने मुझे ८० हजार दिए और कहा कि वो मुझे एक लाख रूपए तभी देगा जब मै मकरंद को भी मार दूँ! 

मैंने उससे कहा कि मेरा बचपन का दोस्त है और मेरे भाई जैसा है, मैं उसे नहीं मार सकता। तो उसने मेरे सर पर पिस्तौल रखी और मुझे कहा, "देख इस तस्वीर को ध्यान से, माँ है ना ये तेरी? तेरे घर के बाहर मेरा एक आदमी खड़ा है, अगर तूने मेरा काम नहीं किया ना तो वो तेरी मां को मार देगा!! क्या तू अपने माँ से प्यार नहीं करता? चाहता है ना की वो जिंदा रहे? तो ले ये पिस्तौल और जा मार दे मकरंद को!"

सर उसने मुझे मेरी माँ को मारने की धमकी दी थी, भला कौन सी औलाद अपनी माँ को मरता देखना चाहेगा!? मै अपनी माँ से बहुत प्यार करता हूं सर, मैं उसे खोना नहीं चाहता था, मैं मजबुर था। इसलिए मैंने पिस्तौल की और मकरंद को मारने के लिए अंदर चला गया। पर नहीं मार पाया उसे।

• वेक्टर ~ नहीं मार पाये ? 

• जिगर ~ क्या तुमने वहां कुछ देखा था?

• राजू ~ हां सर! मैने जब खिड़की से झांककर देखा, तो देखा की दीनानाथ जिंदा है। मैं वहां से वापिस चला गया और उस आदमी को बताया की दीनानाथ जिंदा है! 

उसने कहा कि,"हाँ मुझे पता है, क्योंकि वो जहर धीरे धीरे अपना असर दिखता है। और कुछ घंटो बाद इंसान कि जान लेता है। मैं नहीं चाहता कि दीनानाथ एक ही पल में मर जाए। मैं उसे तड़पा तड़पा के मारना चाहता हूं। तुम ये पिस्तौल अपने पास ही रखो, जैसे ही तुम्हें समय मिले उस मकरंद को भी मार देना। वरना पता है ना मैं क्या कर सकता हूं!?" 

उसके इतना कहते ही वो वहां से चला गया। फिर कुछ देर बाद में भी वहां से जा ही रहा था कि मैने दीनानाथ जी को अपनी कार में घर से बाहर जाते हुए देखा! और फिर कुछ देर बाद मैं भी वहां से चला गया। 

आज सुबह जब मुझे उस आदमी का कॉल आया तो उसने मुझे कहा कि आज आखिरी दिन है मेरे पास मकरंद को मारने के लिए। अगर आज मैने उसे नहीं मारा तो वो मेरी माँ को मार देगा! 

(रोते हुए) इसलिए मैने आज मकरंद को मार दिया सर...

मैंने अपने भाई को मार दिया...

• वेक्टर ~ क्या तुम्हारे पास उस आदमी का नंबर है? 

• राजू ~ हाँ सर है मेरे पास। पर सर मेरी माँ को कुछ होगा तो नहीं ना? 

• वेक्टर ~ चिंता मत करो! तुम्हारी माँ को कुछ नहीं होगा। मैं इंस्पेक्टर पांडे से कहकर तुम्हारे घर पुलिस प्रोटेक्शन लगा देता हूं। 

राजू को पुलिस पकड़कर ले जाती है पर जाने से पहले वेक्टर उससे उस आदमी का नंबर ले लेता है। 

• वेक्टर ~ जिगर ये नंबर लो और पता करो कि नंबर किसका है? कर पाओगे?

• जिगर (मुस्कुराते हुए)~ सर ये तो मेरे बाएं हाथ का खेल है। मुझे कोई भी नंबर दे दीजिए में आपको बता सकता हूं कि कॉल किसने और कहाँ से किया था। में आपको अभी पता लगाकर बताता हूं की ये नंबर किसका है। 


जिगर अपने गाड़ी से सैटेलाइट डीवाइस निकलता है जिससे वो किसी भी नंबर को ट्रैक कर सकता है। वो उस आदमी का नंबर टाइप करता है और उस नंबर को ट्रैक करता है।

• जिगर~ सर, पता चल गया! ये नंबर किसी बजरंग का है।

• वेक्टर~ अच्छा! जरा बताना कहाँ से करता था वो कॉल राजू को।

• जिगर~ जी सर अभी बताता हूं। (कुछ समय बाद) सर इस नंबर की लोकेशन तो बलराम वाडी में दिखा रहा है।

• वेक्टर~ बलराम वाडी!? 

अच्छा, जिगर तुम एक काम करो बलराम वाडी जाओ और पता करो वो आदमी कौन है जो राजू से ये काम करवा रहा है। तब तक मैं मंगेश देसाई के घर जाकर पूछ-ताछ करता हूं। देखता हूं ऐसी क्या बात थी कि वो दीनानाथ जी से खरीदी हुई ज़मीन उन्हें वापिस करना चाहता था।

• जिगर~ यस सर।


वेक्टर मकरंद को एम्बुलेंस में हॉस्पिटल भेजता है पर वो आधे रास्ते में ही मर जाता है, जिसके कारण वेक्टर को उसे फोरेंसिक लैब भेजना पड़ता है। वहां से वेक्टर मंगेश देसाई के घर जाता है और जिगर बलराम वाडी।

वेक्टर मंगेश देसाई के घर पहुँचता है और दरवाज़े पर दस्तक देता है- "ठक ठक ठक!" 

अंदर से एक औरत की आवाज़ आती है-"आयी!" और वो औरत दरवाज़ा खोलती है।

• औरत~ जी कहिए, किस्से मिलना है आपको?

• वेक्टर~ क्या मंगेश घर पर हैं? 

• औरत~ जी वो तो घर पर ही है, पर आप कौन?

• वेक्टर~ मैं मंगेश का दोस्त, और आप?

• औरत~ मैं नीलिमा, मंगेश की पत्नी। आईयेना बैठिए, मैं अभी उन्हें बुलाकर लाती हूं।

• वेक्टर~ जी।

नीलिमा मंगेश को आवाज़ लगाती है,"जी सुनिए! आपसे कोई मिलने आया है।"

• मंगेश(अंदर से)- आया! 


वेक्टर को देखने के बाद -

• मंगेश(वेक्टर से)~ जी कहिए।

• वेक्टर~ मंगेश देसाई आप ही है?

• मंगेश~ जी हां, मैं ही हूं मंगेश देसाई, पर आप कौन?

• वेक्टर~ मैं डिटेक्टिव वेक्टर हूं! एक मर्डर हुआ है, उसी के सिलसिले में आपसे कुछ पूछ ताछ करनी थी।

• मंगेश ~ मर्डर!!? किसका मर्डर?

• वेक्टर~ "मिश्रा रियल इस्टेट" के मालिक दीनानाथ मिश्रा जी का! 

• मंगेश~ क्या!! उसका खून हो गया!? कब हुआ, किसने किया?

• वेक्टर~ परसों रात को किसने उनकी हत्या कर दी! वैसे खूनी की तलाश अभी जारी है, हम जल्द ही पता लगा लेंगे। 

क्या आप बता सकते है की आप परसों की रात कहाँ थे?

• मंगेश~ सर में तो उषा बार में था उस वक्त और रात को काफी देर से घर लौटा था। आप मेरी पत्नी से पूछ सकते है।

• वेक्टर~ अच्छा वो तो हम पता लगा लेंगे की आप सच मे उषा बार में थे या कहीं और..!

क्या आप कुछ दिनों पहले दीनानाथ जी के घर गए थे?

• मंगेश~ हां सर, मुझे उनसे कुछ काम था, बस वही करने गया था और काम होते ही मैं वहां से वापिस आ गया।

• वेक्टर~ ऐसा कौन सा काम था कि आप उनसे लड़कर आ गए?

• मंगेश~ ओह! तो आपको पता है!?

• वेक्टर~ हां मुझे पता है कि आप उनसे मिलने भी गए थे और उनसे लड़कर भी आ गए, बस अब आप मुझे इतना बताने का कष्ट करे कि आप दोनों के बीच उस दिन क्या-क्या बातें हुई और ऐसी क्या बात थी कि आप उनसे खरीदी हुई ज़मीन उनको वापिस करना चाहते थे?

• मंगेश~ कुछ नहीं सर बस उस ज़मीन की हालत कुछ ठीक नहीं थी। हमारे इंजीनियर ने बताया कि वो जगह घर बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि वहां की मिट्टी इतनी गीली है की उसपर अगर घर बन भी गया तो ज्यादा देर खड़ा नहीं रह पाएगा। जल्द ही गिर जाएगा। इसलिए मैंने दीनानाथ जी से कहा कि मुझे मेरे ज़मीन के पैसे लौटा दे और उनकी ज़मीन वापिस लेले।

• वेक्टर~ अच्छा, तो ये बात थी। तो क्या दीनानाथ जी ज़मीन वापिस लेने के लिए मान गए थे?

• मंगेश~ जी हां उसके कुछ दिन वो मान भी गए थे। उन्होंने मुझे ज़मीन के पैसे वापिस भी कर दिए थे। और फिर उसके बाद हमारा मिलना भी नहीं हुआ। 

पर सर आप मुझसे ये क्यों पूछ रहे है? क्या आपको मुझ पर शक है?

• वेक्टर~ जब तक खूनी पकड़ा नहीं जाता तब तक शक तो हमें सभी पर होता है।

• मंगेश~ नहीं सर मैंने खून नहीं किया! मैंने दीनानाथ जी को नहीं मारा। मुझे तो मेरे पैसे भी दीनानाथ जी से वापिस मिल गए थे, फिर में उन्हें क्यों मारूंगा?

• वेक्टर~ ये तो में पता लगा ही लूंगा की आपने खून किया है या नहीं। फिलहाल तो बस यही पूछना था। मैं चलता हूं, पर जब तक खूनी का पता नहीं चलता आप शहर छोड़कर नहीं जा सकते।

• मंगेश~ जी सर ठीक है।


वेक्टर वहां से ऑफिस के लिए निकलता है।वापिस आने के बाद वो फोरेंसिक लैब में डॉ.विशाखा से मिलने जाता है।

• वेक्टर~ गुड आफ्टरनून डॉ.विशाखा! तो कुछ नया हाथ लगा मकरंद की लाश से ?

• विशाखा~ नहीं सर, मैंने इसकी लाश की अच्छ से जांच की है। पर कुछ ज्यादा हाथ नहीं लगा। इसकी मौत सीने पर दो गोलियां लगने के कारण ही हुई है।

• वेक्टर~ ओह! ओके। मुझे लगा आपको कुछ पता चला होगा तो मिलकर आपसे पूछ लू। मंगेश के घर जाकर मेरे भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। जिगर बलराम वाडी गया है, क्या पता उसके हात कुछ लगा हो! बस अब उसका इंतजार है। 


तभी जिगर भी वही आता है।

• जिगर~ सर आपने मेरा नाम लिया और मैं हाजिर!

• विशाखा(मुस्कुराते हुए)~ लो सर, जिगर भी आ गया देखते है इसका लक आज कितने आसमान पर है।

• जिगर(प्यार से)~ आपने मुझे मिस किया विशाखा जी?

• विशाखा~ जी मैंने नहीं, सर ने आपको याद किया था। सुना है आप खूनी का पता लगाने गए थे! कुछ हाथ -वात लगा, या आप भी खाली हाथ आए है?

• वेक्टर~ हाँ जिगर तुम तो बलराम वाडी गए थे ना, कुछ पता चला खूनी का?

• जिगर~ हाँ सर...ऐसी खबर लाया हूं विशाखा जी सोच लीजिए कि खूनी मिल ही गया।

• विशाखा(चौंकते हुए)~ सच मे!!?

• जिगर~ हां।

• वेक्टर~ अच्छा, क्या पता चला ?

• जिगर~ मैं जब नंबर को ट्रैक करके उसकी लोकेशन पर पहुंचा, तो मुझे पता चला कि ये नंबर एक टेलीफोन बूथ का है और उसके मालिक का नाम बजरंग है। बलराम वाडी में ये एक ही टेलीफोन बूथ है जहाँ से कई लोग कॉल करते है। ऐसे मे राजू को कौन कॉल करता था ये पता लगाना मुश्किल था। मैंने आस पास देखा तो वहीं टेलीफोन बूथ के ठीक सामने मुझे बैंक दिखाई दी और देखा कि वहां कैमरा भी लगा हुआ था, जिसकी दिशा सामने की ओर थी। ऐसे मे हम देख सकते थे कि राजू को कॉल कौन करता था। तभी मैंने राजू को खूनी का आया हुआ लास्ट कॉल चेक किया, तो लास्ट कॉल आज सुबह का था। मैं तुरंत बैंक गया और सिक्योरिटी ऑफिसर को पूरी बात बताई। वो मुझे कंट्रोल रूम लेकर गए और मुझे सुबह की रिकॉर्डिंग दिखाई।

• वेक्टर~ तो क्या कैमरा में खूनी नजर आया?

• जिगर~ नहीं ना! उसने चेहरा कपड़े से ढका हुआ था, इसलिए मैं उसका चेहरा नहीं देखा पाया।

• विशाखा~ लो!! और हम समझें की तुमने खूनी को ढूंढ ही लिया।

• वेक्टर~ फिर तुमने ऐसा क्यों कहा कि तुम्हे खूनी पता चल गया?

• जिगर~ क्योंकी सर, खूनी की बहुत बड़ी निशानी मेरे हाथलग गई है। जिससे हम आसानी से खूनी को पकड़ सकते है, और वो भी आज शाम को ही!

• विशाखा~ सच मे!!?

• जिगर~ हां!

• वेक्टर~ अच्छा!! क्या है वो चीज?

• जिगर~ सर मैने जब राजू और खूनी के कॉल रिकॉर्ड चेक किये, तब मैने देखा कि खूनी ने राजू को सुबह और शाम को ही कॉल किये है। ना दोपहर को, ना रात को! बस सुबह एक बार और शाम को एक बार। आज भी उसने सुबह कॉल किया था। और जहां तक मेरा अंदाजा है, वो आज शाम को भी राजू को कॉल ज़रूर करेगा! उसने आज राजू से, मकरंद को मारने के लिए कहा था। मकरंद को मारा या नहीं? ये पूछने के लिए वो राजू के फोन पर कॉल ज़रूर करेगा। इसलिए हम आज वहां पहले से ही तैयार रहेंगे और जैसे ही वो वहां कॉल करने आएगा हम उसे पकड़ लेंगे!

• वेक्टर~ अरे वाह! ये तो बहुत बढ़िया प्लान है। मानना पड़ेगा, तुम काफी होशियार हो! 

• जिगर~ थैंक्यू सर। अब चले श्याम हो चुकी है और उस कातिल के आने का समय हो गया है। वो किसी भी पल आता ही होगा।

• वेक्टर~ शुभ काम में देरी कैसी! चलो। 

• विशाखा~ आप दोनों को भी गुड लक!

• जिगर+ वेक्टर~ थैंक्यू! बाय।


जिगर और वेक्टर बलराम वाडी आते है और एक जगह छुपकर उस फोन बूथ पर नजर रखते है।

(४० मिनट बाद)

• वेक्टर~ कितनी देर है जिगर तुम्हारे मेहमान को? ४० मिनट से खड़े है यहां पर, वो आएगा भी या नहीं? 

• जिगर~ अभी तक तो उसे आ जाना चाहिए था। बस कुछ देर और रुक जाइए सर, देखना वो ज़रूर आएगा।

सर!! सर!! देखिए वो आ गया! वो जो ब्लू जैकेट और चेहरे पर स्कार्फ बांधे हुए फोन बूथ की तरफ आ रहा है, वहीं है हमारा खूनी!

• वेक्टर~ तो आ ही गया हमारा मेहमान। चलो स्वागत करते है! 

• जिगर~ जी चलिए।


वेक्टर और जिगर उसके पिछे जाकर खड़े हो जाते है।

• वेक्टर(खूनी से)~ किसे फोन कर रहे हो ?

• जिगर~ अपनी गर्लफ्रेंड को फोन कर रहा होगा सर। चलिए, चलिए उसे डिस्टर्ब मत कीजिए। उसे बहुत काम है। 

जिगर और वेक्टर को देखते ही खूनी वहां से भागने लगा।

जिगर और वेक्टर भी उसके पीछे दौड़े।

खूनी जब रुकने का नाम नहीं ले रहा था तब वेक्टर ने अपनी छड़ी उसके पैरो पर मार फेंकी और वो खूनी लड़खड़ाकर गिर पड़ा।

• वेक्टर~ कहाँ भाग रहे हो, अपनी शादी का खाना तो खाते जाओ।

वेक्टर उसे जोर से थप्पड़ मारता है।

• खूनी~ छोड़ो मुझे जाने दो।

• वेक्टर~ अरे ऐसे कैसे? पहले अपनी मुख दिखाई तो करो! हम भी तो देखे हमारे दामाद को। जिगर इसका स्कार्फ हटाओ।

जिगर खूनी का स्कार्फ उतारता है। 

• जिगर~ तुम!!!

• वेक्टर~ विकास तुम!!! तो तुमने मारा है अपने पिता को! 

• विकास~ मारने की तो बहुत कोशिश की, पर शायद उनकी मौत मेरे हाथों में नहीं लिखी थी।

• वेक्टर~ क्या मतलब? 

• विकास~ मैंने उन्हें मकरंद के हाथों जहर तो दे दिया था, पर वो जहर से मरने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जहर देने के ३ घंटे बाद भी उनपर जहर का कोई असर नहीं दिख रहा था। ना कोई बेचैनी, ना कोई तड़प! मैं उन्हें तड़पा तड़पा कर मारना चाहता था। जैसे उन्होंने मेरी नम्रता दीदी को मारा था! 

• वेक्टर~ क्या!! तुम्हारे पिता ने तुम्हारी बहन को मारा था!? पर क्यों?

• विकास~ हां! उस दरिंदे ने मेरी दीदी को तड़पा तड़पा कर मार डाला।

दो साल पहले की बात है। नम्रता दीदी अपना एजुकेशन पूरा करके अमेरिका से वापिस आयी थी। वापिस आने के बाद उन्हें यहां एक लड़के से प्यार हो गया था और वो उससे शादी करना चाहती थी। पर पापा को लव मैरिज पसंद नहीं था । हमारे घरवाले लव मैरिज के सख़्त खिलाफ थे। इसलिए दीदी ने उस लड़के के साथ भाग जाना ही सही समझा और वो दोनों एक साथ भाग गए। 

एक साल बाद दीदी का मम्मी को कॉल आया। वो रो रही थी। उन्हें हम सभी की बहुत याद आ रही थी। मम्मी उनसे बात कर ही रही थी कि पापा ने उनके हाथ से फोन लेकर दीदी को प्यार से घर आने को कहा। पापा ने उन दोनों को माफ़ कर दिया है और अब वो उन दोनों को अपनाना चाहते है ऐसा पापा ने दीदी से कहा।

ये सुनते ही दीदी खुश हो गई और अगले ही दिन घर आ पहुंची। मुझे लगा पापा ने उन्हें सच मे माफ़ कर दिया था और अब हम सब खुशी से रह पाएंगे पर...

• जिगर~ पर...?

• विकास~ पर ये सब उनकी चाल थी! उन्हें जान से मारने की! दीदी दहलीज पर खड़ी थी। सामने हम सब खड़े थे। हम सभी को देखकर उनकी आँखो में आँसू आ गए। वो अन्दर पैर रखने ही वाली थी कि अचानक मकरंद पीछे से आया, उसने उनकी पीठ पर चाकू से वार किया और दीदी जोर से चिल्लाई

"माँ ...."!! 

हम सब वो नजारा देखकर देहल उठे। हम दीदी के पास जाने ही वाले थे, पर पापा ने हमें रोक लिया। वो खुद दीदी के पास गए और उनसे कहा,"तेरी वजह से मेरी बहुत बदनामी हुई। मेरे मान सम्मान को बहुत ठेस पहुँचाई है तूने। तुझे जीने का कोई हक नहीं है। भगवान तेरी जैसी औलाद किसी को ना दे।" इतना कहते ही पापा ने दीदी का गला पकड़ा और उनके पेट में दो बार चाकू मारा! 

दीदी गिड़गिड़ाती रही, माफ़ी मांगती रही पर पापा ने उनकी एक ना सुनी। घर के अंदर आने से पहले ही उन्होंने दहलीज पर अपना दम तोड दिया। 

पापा ने हमें उनकी लाश का अंतिम संस्कार भी नहीं करने दिया। उन्हें मकरंद के हाथों कहीं दफना दिया। उसी दिन मैंने ठान लिया कि मैं भी उन्हें उसी तरह तड़पा तडपा कर मारूंगा जैसे उन्होंने मेरे दीदी को मारा था।

• वेक्टर~ आखिर कार जब वो जहर से नहीं मरे तो तुमने उन्हें मणिपुर के गार्डन में बुलाया और वहां उसी तरह उनकी हत्या की जैसे उन्होंने तुम्हारे दीदी कि थी। क्यों? है ना?

• विकास~ नहीं सर!! मैंने उन्हें नहीं मारा। हां मैं उन्हें मारना चाहता था, पर मैंने उन्हें गार्डन में नहीं बुलाया। बल्कि मैं खुद हैरान था जब अगले दिन उनकी लाश घर पर आयी। खुश तो में था ही पर अफसोस भी था कि में उन्हें अपने हाथों से नहीं मार पाया। मैं भी सोच में पड़ गया कि पापा का ये और एक नया दुश्मन कौन है? जिसने उन्हें उसी तरह मारा जिस तरह उन्होंने दीदी को मारा था।

• वेक्टर~ अगर दीनानाथ को तुमने नहीं मारा तो फिर किसने मारा होगा...?

• विकास~ मुझे नहीं पता सर।

• जिगर~ तुम राजू को कैसे जानते थे? और उसे सिर्फ सुबह और शाम को ही क्यों कॉल करते थे? तुम तो उसे कभी भी कॉल कर सकते थे।

• विकास~ मकरंद हमेशा उससे मिला करता था। उसने कई बार पापा से उसका जिक्र किया था। मैंने उसे राजू से कई बार मिलते हुए देखा था। उसके बाद मैंने राजू की पूरी कुंडली निकली और उससे अपने काम करवाये। उसे नहीं पता था कि स्कार्फ के पीछे मैं हूं। मैं उसे अपने घर के फोन या मोबाइल से कॉल करता तो पकड़ा जाता इसलिए मैंने इस फोन बूथ का इस्तमाल किया। मैं यही पास में एक कंपनी में काम करता हूं। और पूरी एरिया में यही एक फोन बूथ है, जहाँ से में राजू को कॉल कर सकता था। मैं सुबह ऑफ़िस जाने से पहले और शाम को ऑफ़िस से घर आते वक्त उसे कॉल किया करता था। आज भी में उसे कॉल करके मकरंद को मारा या नहीं ये पूछने ही वाला था, की आप लोग आ गए।

• जिगर~ ओह! तो ये बात है। प्लान तो काफी अच्छा था तुम्हारा पर अफसोस, इस एक गलती के कारण तुम पकड़े गए।

• वेक्टर~ पर जब राजुने सुबह मकरंद को गोली मारी, क्या तब तुमने देखा नहीं की मकरंद मर गया था? उस वक्त तुम कहा थे?

• विकास~ मकरंद काफी दिनों से हमारे यहाँ काम करता था। पापा के लिए मकरंद काफी खास था। वो अपना सारा जरूरी काम उसी से करवाते थे। वो मेरे चाचा समान था। हम सबके लिए भी वो घर का ही सदस्य था। ऐसे में मैं उसे मरता हुआ नहीं देख पाता। इसलिए मैं गोली चलने पर भी बाहर नहीं आया जिसके कारण मुझे नहीं पता था कि मकरंद मर गया है या जिंदा है। बाद में मैंने मां से पूछा तो उन्होंने कहा कि मकरंद बेहोश है और आप उसे एम्बुलेंस में कहीं लेकर गए है। पर उन्हें कहा पता था कि मकरंद मर चुका है। मुझे भी अभी आप से पता चला कि वो मर गया है। मुझे तो ये भी पता नहीं था राजू आपके हिरासत में। अगर पता होता तो में यहाँ आता ही नहीं।


• वेक्टर~ सवाल अभी ये है की अगर तुमने अपने पापा को नहीं मारा तो फिर किसने मारा होगा उन्हें?

जिगर, तुमने उनका कॉल रिकॉर्ड चेक किया था ना?

• जिगर~ हां सर, मैंने किया था।

• वेक्टर~ तो फिर उन्हें लास्ट कॉल किसने किया था?

• जिगर~ सर दीनानाथ को लास्ट कॉल वहीं मणिपुर गार्डन के पास वाले टेलीफोन बूथ से आया था। 

• वेक्टर~ अच्छा!? चलो देखे तो सही की वहां से आखिरी कॉल किसने किया था। जिगर, में थोड़ी पूछताछ करके आता हूं, तब तक तुम विकास जी को उनके ससुराल छोड़कर आओ। आखिर कार इन पर हाफ मर्डर, ब्लैक मेलिंग और मकरंद के मर्डर का केस जो बनता है।

माना विकास की तुम्हारे पिता ने तुम्हारे दीदी के साथ अच्छा नहीं किया पर तुम्हें भी कोई हक नहीं की तुम कानून को अपने हाथ में लो। तुम कानून की मदद ले सकते थे, पर तुमने ऐसा नहीं किया। तुम्हें सजा तो ज़रूर होगी।

• जिगर~ चलिए विकास जी, आईये मैं आपको आपके ससुराल छोड़ दूँ। वहा पांडेजी अपने दामाद की राह देख रहे होंगे।

जिगर, विकास को इंस्पेक्टर पांडे के हवाले करने पुलिस स्टेशन ले जाता है। 


इधर दीनानाथ को आखिरी कॉल किसने किया था? ये पता लगाने वेक्टर मणिपुर गार्डन के पास वाले टेलीफोन बूथ पर पहुंचता है।

• वेक्टर(अपने आप से)~ यहाँ तो इतनी सारी भीड़ है। यहाँ से तो रोज़ कई लोग कॉल करते होंगे। यहाँ आस-पास कोई कैमरा भी नहीं है। अब कैसे पता लगाउ की उस दिन दीनानाथ को लास्ट कॉल किसने किया था...?


तभी जिगर भी वहां आ पहुँचता है।

• जिगर~ कुछ पता चला सर? लास्ट कॉल किसने किया था?

• वेक्टर~ नहीं जिगर। कैसे पता लगाउ वहीं सोच रहा हूं।

• जिगर~ चलिए सर अब बहुत देर हो चुकी है घर चलते है। कल पता लगा लेंगे कौन है वो इंसान जिसने दिनानाथ को कॉल करके यहाँ बुलाया था।

• वेक्टर~ ठीक है, चलो।


अगले दिन-

• जिगर~ गुड मॉर्निंग सर।

• वेक्टर~ गुड मॉर्निंग जिगर। 

• जिगर~ सर कुछ सोचा आपने खूनी को कैसे पकड़े?

• वेक्टर~ नहीं, पर मेरे दिमाग में एक बात खटक रही है।

• जिगर~ कौन सी बात सर!?

• वेक्टर~ जिगर तुम्हें याद है? दीनानाथ ने मरते वक्त अपने हाथों पर "S" लिखा था! और उसके अगले दिन जब मकरंद को गोली लगी तब वो भी मरते वक्त "स... स..." करते हुए किसी का नाम ले रहा था। 

• जिगर~ हां सर!

• वेक्टर~ हो ना हो, कातिल का नाम जरूर "S" से शुरू होता है। अभी तक इस केस में हमारे सामने ३ लोग "S" नाम वाले आए है- १)सूमित्रा (दीनानाथ की पत्नी), २) सोनम (दीनानाथ की बहू), ३) सोनू (मकरंद की पत्नी)।

इनमे से कोई तो खूनी है, या फिर खूनी का साथ दे रहा है!

• जिगर~ सर,मेरे पास एक प्लान है!


वेक्टर और जिगर दीनानाथ के घर पहुंचते है।

• सोनम~ सर आप!?

• वेक्टर~ जी हां हम। कृपया आप सभी को बुला कर ला सकती है? 

• सोनम~ जी मैं अभी सबको बुला कर लाती हूं। 


सोनम सभी को हॉल में इकट्ठा करती है। 

• सुमित्रा~ क्या हुआ सर, खूनी का पता चला?

• वेक्टर~ नहीं, पर जल्द ही पता चल जाएगा!

• सोनम~ अच्छा! वो कैसे?

• जिगर~ जी वो ऐसे, की मकरंद ठीक हो गया है और उसे होश आने वाला है। जल्द ही वो हमे खूनी का नाम बता देगा और हम उसे पकड़ लेंगे।

• वेक्टर~ जी हां, बस ये खुश खबरी आपको सुनने आए थे। यहाँ से हम उससे मिलने ही जा रहे है। 

• सुमित्रा~ ये तो बहुत अच्छी बात है।

• सोनू~ जी वो किस हॉस्पिटल में है?

• वेक्टर~ जी वो सिटी हॉस्पिटल में है, वार्ड नं. ३०। चलिए अब हम चलते है, जल्द ही दीनानाथ जी के कातिल को आपके सामने लाएंगे।


ये कहकर वेक्टर और जिगर वहां से हॉस्पिटल के लिए निकलते है।

(रास्ते में)-

• जिगर~ सर, हमने उन्हें कह तो दिया कि मकरंद सही-सलामत है। पर जब उसकी पत्नी को पता चलेगा कि हमने उनसे झूठ कहा था, तो उन्हें कितना बुरा लगेगा। 

• वेक्टर~ बुरा तो लगेगा जिगर, पर क्या करे खूनी को पकड़ने के लिए यही एक रास्ता था। देखना मकरंद जिंदा है ये बात खूनी तक ज़रूर पहुंच गई होगी और वो मकरंद को मारने के लिए हॉस्पिटल आता ही होगा। बस एक बार खूनी हमारे हाथ में आ जाए फिर सबको मकरंद के बारेमे सचसच बता देंगे। 

• जिगर~ ओके सर।

उधर खूनी को लगता है कि मकरंद सच मे अभी भी जिंदा है और अगर होश में आने के बाद उसने खूनी का नाम ले लिया तो वो फँस जाएगा इसलिए वो मकरंद को मारने के लिए हॉस्पिटल पहुँचता है।

• खूनी(नर्स से)~ नर्स, ये वार्ड नं. ३० कहाँ है?

• नर्स~ जी आगे से दाई तरफ, सीधा जाकर आखिरी ही है।

• खूनी~ ठीक है।


वेक्टर और जिगर भी हॉस्पिटल पहुंचते है। गाड़ी से उतरते ही उन्हें डॉ.विशाखा नजर आती है। 

• वेक्टर~ विशाखा तुम यहां?

• विशाखा~ हां सर वो मुझे कुछ काम था। काम हो गया तो बस अभी लैब ही जा रही थी।

• वेक्टर~ ओह ओके। वैसे हमने खूनी के लिए एक जाल बिछाया है। बस कुछ ही देर में वो आता ही होगा।

• विशाखा~ अरे वाह! काश वो जल्द से जल्द पकड़ा जाए।

• जिगर~ सर जल्दी चलिए, कहीं उसे पता चला कि ये हमारी चाल है तो वो भाग जाएगा।

• वेक्टर~ हां चलो!


उधर खूनी वार्ड नं. ३० में पहुँचता है। बेड पर किसी को सोया देखकर उसे लगता है कि वो ज़रूर मकरंद ही होगा। वो अपना चाकू निकलता है और बेड की तरफ धीरे धीरे बढ़ता है। 

वो चाकू उपर करता है और जोर से बेड पर सोए आदमी के सिने पर वार करता है। वो एक के बाद एक वार करते जाता है। जल्द ही उसे समझ में आता है कि चद्दर के नीचे कोई नहीं है। वो सोए हुए आदमी के सर से चद्दर उठता है और चौंक जाता है! ये देखकर की वहां मकरंद की बजाय तकिया रखा होता है।

• खूनी(अपने आप से)~ धोखा!! यानी कि ये एक चाल थी! 

• वेक्टर(जिगर के साथ पिछे से आता है)~ हां, ये एक चाल थी। तुम्हारे लिए, जिसमें हम कामयाब हुए और तुम पकड़े गए। सोच रहे हो ये कैसे हो गया? मैं बताता हूं। 

ये जिगर का प्लान था, जिसकी बदौलत हम तुम तक पहुँच सके और हम पहुँचे भी। मकरंद की मौत तो कल एम्बुलेंस में ही हो गई थी। पर ये बात तुम लोगोसे हमें चुपानी पड़ी ताकि हम असली कातिल का पता लगा सके। चलो अब अपना हथियार नीचे फेंको और अपना स्कार्फ़ उतारो। हम भी तो देखे आखिर कौन है इस सेहरे के पीछे। 

तभी पिछे से एक औरत आती है और वेक्टर और जिगर पर पिस्तौल तानती है।

• औरत~ रुक जाओ! जहां हो वहीं खड़े रहो वरना में गोली चला दूंगी। 

• विशाखा(पिछे से आकर उसी पर पिस्तौल तानती है)~ गोली तो तब चलाएगी ना जब जिंदा बचेगी!! 

चल वो पिस्तौल मुझे दे और चुपचाप अपने साथी के साथ वहां कोने में खड़ी हो जा।

• औरत~ रुको देती हूं, गोली मत चलाना!

ये लो।


विशाखा उससे पिस्तौल ले लेती है और उसे उसके साथी की तरफ धकेलती है।

• वेक्टर~ थैंक्यू विशाखा, तुम सही समय पर वापिस आयी।

• जिगर~ हां, वरना आज ये दोनों कानून से बच जाते। 

• विशाखा~ मुझे तो आना ही था। मुझे भी देखना था कि कौन है हमारा असली खूनी। पर यहां तो दो-दो खूनी निकले। इनमे से पहले किसका चेहरा देखे?

• जिगर~ लेडीज फर्स्ट विशाखा जी, लेडीज फर्स्ट!!

• वेक्टर~ ठीक है, तो चलो इसी से शुरुआत करते है। निकालो अपना स्कार्फ़!

वो औरत अपना स्कार्फ़ उतरती है।

• वेक्टर~ तुम!!! 

• जिगर~ सोनम तुम!!?

• सोनम~ हां मैं।

• वेक्टर~ और तुम्हारे साथ ये कौन है?


खूनी अपना स्कार्फ़ उतरता है।

• सोनम~ ये राहुल है। विकास की बहन नम्रता का पति!

• वेक्टर~ क्या!!

• राहुल~ हां। मैं विकास का जीजा हूं।

• वेक्टर~ पर तुम दोनों एक दूसरे को कैसे जानते हो?

• सोनम~ राहुल मेरा भाई है।

• जिगर~ क्या!! हे भगवान मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है। जरा डिटेल में समझाओ।

• सोनम~ विकास और मैं एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। ये बात सबसे पहले मेरे भाई(राहुल) को पता चली। पर उसे विकास से कोई परेशानी नहीं थी। क्योंकि विकास बहुत अच्छा लड़का था। फिर नम्रता दीदी को भी हमारे बारे में पता चला। उन्होंने भी हमें अपना लिया। 

एक बार विकास अपने दीदी के साथ कॉलेज आया था और मैं अपने भईया के साथ आयी थी। उसी दिन भईया की मुलाकात नम्रता दीदी से हुई। उन्हें नम्रता दीदी बहुत पसंद आयी। धीरे धीरे उनकी मुलाक़ातें बढ़ने लगी। नम्रता दीदी को भी भईया बहुत अच्छे लगते थे। वो दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे। पर विकास के परिवार वालों को लव मैरेज पसंद नहीं थी इसलिए इन दोनों ने भागकर शादी कर ली। 

• वेक्टर~ क्या विकास को ये बात पता थी? 

• सोनम~ नहीं सर। मुझे और विकास को नम्रता दी और भईया के बारे में कुछ भी नहीं पता था।

मुझे भी तब पता चला जब ये दोनों शादी करके घर लौटे थे। पर मम्मी पापा ने नम्रता दीदी को अपनाने से मना कर दिया था। जिस वजह से उन्हें घर छोड़कर जाना पड़ा। उन्होंने कई दिनों तक दर दर के ठोकरें खाए।

विकास अपनी दीदी से बहुत प्यार करता था। ये बात अगर में विकास को बताती की नम्रता दीदी मेरे भईया के साथ भागी है और दर दर के ठोकरें खा रही है, तो वो मुझपर गुस्सा होता और मुझे छोड़ देता। मैं उसे खोना नहीं चाहती थी इसलिए मैंने उसे कुछ भी नहीं बताया।

• जिगर~ पर दीनानाथ जी को तो लव मैरिज पसंद नहीं थी तो तुम्हारी और विकास की शादी कैसे हुई?

• सोनम~ विकास के घरवालों को लड़की की लव मैरेज से आपत्ति थी। पर विकास को उसके जीवन साथी का चयन करने का पूरा हक था। 

विकास ने मुझे उसके घरवालों से मिलाया और सबको मैं पसंद आ गई। पर मेरे घरवाले विकास से मेरी शादी नहीं होने दे रहे थे क्योंकि वो नम्रता दीदी का भाई था। मजबूरन मुझे और विकास को उसके घर वालों से झूठ बोलना पड़ा की मैं अनाथ हूं।

फिर हमारी शादी हुई। शादी के कुछ दिन बाद माजी को नम्रता दीदी का कॉल आया और पापा जी ने उन्हें सब कुछ भूलकर घर वापिस आने को कहा। पर वो बेचारी कहा जानती थी कि ये सब पापा जी की चाल थी। 

अगले ही दिन दीदी भईया के साथ घर लौट आयी। भईया गाड़ी पार्क कर रहे थे। पर दीदी को अपने घरवालों से मिलने का और इंतजार नहीं हुआ। वो बिना भईया के ही घर की तरफ भागी। हम सब दीदी को देखकर बेहद खुश हो गए थे। पर दीदी घर के अंदर आती इससे पहले ही पापाजी ने मकरंद के साथ मिलकर नम्रता दीदी को बहुत बेरहमी से मार डाला। 

• राहुल(रोते)~ मैं गाड़ी पार्क करके अंदर ही जा रहा था। तभी मेरे आंखों के सामने दीनानाथ ने मेरी नम्रता को मार डाला।

• सोनम~ मैंने भईया को खिड़की से आते वक्त देख लिया था। मुझे लगा अगर भईया इस वक्त यहां आ गए तो वो लोग भईया को भी मार देंगे। इसलिए मैं फ़ौरन पिछे के दरवाज़े से भईया के पास पहुंची और भईया को अन्दर जाने से रोक लिया।

पापाजी ने दीदी को मारकर पुराने कब्रिस्तान में दफन कर दिया था। बाद में उनके शव को बाहर निकालकर हमने उनका अंतिम संस्कार किया।

उसी वक्त भईया और मैंने कसम ली की नम्रता दीदी के कातिलों को सजा जरूर देंगे। 

• राहुल~ और इसीलिए मैंने उस दिन दीनानाथ को कॉल करके कहा कि वो मुझे जल्दी मणिपुर के गार्डन में आकर मिले। मैंने उसे धमकी दी कि मेरे पास उसके खिलाफ सबूत है कि उसने अपनी बेटी को मारा है और मैं इसे पुलिस को देने वाला हूं। अगर वो नहीं चाहता कि में ये सबूत पुलिस को दूँ तो जल्द से जल्द पचास लाख रुपए लेकर मणिपुर गार्डन में आए। 

• सोनम~ ये सुनकर वो डर गये और पैसे लेकर गार्डन पहुंचे। उस रात बहुत तेज़ बारिश हो रही थी इसलिए गार्डन में कोई नहीं था। मैं भी उनके पीछे पीछे गार्डन पहुंची। भईया ने उन्हें सब कुछ बता दिया। ये सुनकर पापाजी बोले- "अच्छा तो तू है वो जो मेरी बेटी को लेकर भागा था, तुझे तो में जिंदा नहीं छोडूंगा!!"

फिर भईया को मारने के लिए उन्होंने उनकी पिस्तौल निकली! इससे पहले वो गोली चलाते मैने उनके पीठ पर चाकू से वार किया! फिर भईया ने भी उनपर चाकू से वार किया और वो मर गए...

• राहुल~ और इस तरह हमने दीनानाथ को मार डाला।

• जिगर~ तुमने उन पैसों का क्या किया? 

• राहुल~ नम्रता का सपना था कि वो अनाथ आश्रम खोले और जो बेसहारा लोग होते है उनकी सहायता करे।पर उसका ये सपना पूरा ना हो सका। इसलिए उसका ये सपना मैंने पूरा किया। उन पैसों से मैंने बेसहारा लोगो के लिए एक अनाथ आश्रम का निर्माण किया और उसे नाम दिया "नम्रता अनाथ आश्रम"।

• वेक्टर~ आशा करता हूं नम्रता जहाँ भी होगी तुमने जो उसके लिए किया है ये देखकर वो बहुत खुश होगी।

• राहुल~ हां सर बहुत खुश होगी मेरी नम्रता।

• जिगर~ तो क्या दीनानाथ और मकरंद मरते वक्त तुम्हारा नाम ले रहे थे सोनम?

• सोनम~ हां, वो मेरा ही नाम ले रहे थे। पर अफसोस ले नहीं पाए।

• वेक्टर~ पर मकरंद को कैसे पता चला की दीनानाथ को तुमने ही मारा है?

• सोनम~ उस दिन जब में घर लौटी तो मेरे हाथ खून से सने थे। मुझे लगा मुझे ऐसी हालत में कोई देखता तो सबको पता चल जाता कि मैने ही पापाजी को मारा है। इसलिए मैं घर के पीछे वाले नल पर हाथ धोने गई तभी वहां मकरंद चाचा आए और उन्होंने मुझे देख लिया। पर उन्होंने मुझसे कुछ पूछा नहीं क्योंकि वे बेहद नींद में थे। फिर वो वहां से चले गए।

अगले दिन जब पापाजी के मरने की खबर आयी तो मकरंद चाचा को मुझपर पूरा यकीन हो गया था कि मैंने ही पापाजी को मारा है। वो मुझे किचेन में लेकर गए और कहा कि,"मालिक का खून तुमने किया है ना! मुझे पता है! मैं अभी सबको सच सच बताता हूं।"

वो सबको सच सच बताते इससे पहले मैंने उनसे कहा कि उन्होंने किस तरह नम्रता दीदी को मारा था, इसका सबूत है मेरे पास। और अगर वो सबको सच सच बताएंगे तो में भी चुप नहीं रहूँगी, पुलिस को सब कुछ बता दूंगी! और अब तो पापाजी भी नहीं है तुम्हारी मदद करने के लिए तो पुलिस से आपको कौन बचाएगा? तुम जेल में चले गए तो उसके बाद तुम्हारे बीवी और बच्ची का क्या होगा? उससे अच्छा, जो चल रहा है चले दो। ये सुनने के बाद वो अपनी बीवी और बच्ची के बारे मे सोचकर चुप हो गया।

और फिर कल उन्हें भी उन्ही के मित्र ने मार दिया। इस तरह हमारा राज राज ही रहा और किसी को पता ही नहीं चला कि हमने ही पापाजी को मारा था।

• राहुल~ इस तरह दोनों के मर जाने के बाद हमारा बदला पूरा हो गया। पर कुछ देर पहले, सोनम ने मुझे कॉल करके बताया कि मकरंद जिंदा है और यहाँ है। वो होश में आया तो हमारे बारे में सबको बता देगा। इसलिए हम उसे मारने यहाँ आ पहुंचे। पर यहां आकर हम आपके जाल में फँस गए।

• वेक्टर~ फंसना ही था। भला कानून से आज तक कोई खूनी बच पाया है?

• जिगर~ कानून से नहीं सर आपसे! 

• वेक्टर~ पर ये सब तुम्हारी बदौलत हो पाया है। अगर तुम नहीं होते तो में इतने जल्दी ये केस सॉल्व नहीं कर पाता!! इसलिए आज से तुम मेरे असिस्टेंट हो।

• जिगर~ सच में सर!!! थैंक्यू सो मच!! मैं बहुत खुश हूं। 

• विशाखा~ तो आखिर कार हमने ये केस भी सॉल्व कर दिया।

राहुल और सोनम को दीनानाथ के खून और मकरंद को ब्लैकमेल करने के इल्जाम में सख़्त सजा हुई। माना कि उन्होंने ये सब नम्रता की आत्मा को शांति मिले इसलिए किया पर आखिर कार उन्होंने भी गुनाह ही किया था तो कानून से कैसे बच पाते! 

इस तरह डिटेक्टिव वेक्टर को एक नया साथी मिल गया और उन्होंने एक और केस भी सॉल्व कर दिया।


कुछ दिनों बाद-

अचानक कुछ लोग वेक्टर के ऑफ़िस में घुसकर उस चौथे कमरे का दरवाज़ा तोड़ देते है।

• बुंबा~ आखिर कार.....ये मनी हमारी हुई !

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.                क्रमशः

.               [रेंजरस सीरीज में ]


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