Mishra Gauravpant

Drama

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Mishra Gauravpant

Drama

असहाय

असहाय

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आज भी इंतजार करती रही हूं मैं सलीम का,

जो इस लाॅकडाउन में जोगेश्वरी में फंसे हुए है ३१ दिनों से उसकी दूरी मुझे खल रही है। कुछ ही दिन ही तो बीते थे हमारी शादी को जिसे मैं परंपरागत रुढ़ियों को तोड़ कर संपन्न किया था।पहले पति के निधन के बाद मैं खुद को असहाय महसूस कर रही थी,ऐसे में सलीम का मेरे जीवन में आना एक संबल दे गया,उससे शादी कर मैं आश्वस्त थी कि अब मुझे सहायता के हाथ नहीं ढूंढ़ने पड़ेंगे, मैं मुंबई के मंदिर।

में श्रृंगार का सामान व पूजा सामग्री बेच कर अपना जीवन यापन कर रही थी। अकेली औरत होने की प्रताड़ना सहती हुई अपने भाग्य को कोसती रहती ऐसे वक्त में गैर धर्म के सलीम ने प्रेम भरे संबल से मुझे संभाला मेरी दिनचर्या का अनिवार्य हिस्सा बन गया धार्मिक भिन्नता से ऊपर उठकर वासना रहित उसके साथ ने मुझमें आत्मविश्वास की भावना जागृत की, मन में अपने बेसहारा होने का भाव दूर कर अपने काम में लग गयी,किंतु आज बिना अन्न व धन के अपने ही घर में भूखी रहकर सहायता की आस में हूं फिर से असहाय हो गई हूं।


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