Arun Gaud

Drama Inspirational

4.2  

Arun Gaud

Drama Inspirational

अजनबी दोस्त

अजनबी दोस्त

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उदास और परेशान सा अजय अकेला शापिंग माल की टैरिस पर घूम रहा था। उसके चेहरे से ही उसकी निराशा और गम झलक रहे थे। कुछ बैचेन सा अपने विचारों में खोया हुआ... लगभग लड़ता हुआ, काफी देर तक इधर उधर घूमने के बाद वह रूका, जैसे उसे अपनी परेशानीयों का, अपने सारे दर्द का उपाय मिल गया था।

वह तेज कदमों से इस ऊंचे शापिंग माल की छत की रैलिंग पर जा कर खड़ा हो गया। उसने अपनी आंसुओं से भरी आंखें बंद की, लेकिन आंखें बंद करते ही उसे थोड़ी देर पहले जो कुछ उसके साथ घटा वो सब वो सब याद आ रहा था। एक घण्टे पहले ही वह इस माल में अपनी गर्लफ्रेंड दिशा से मिलने आया था, दिशा जो उसके लिये सब कुछ थी, जिसे वो जान से ज्यादा प्यार करता था, लेकिन आज वो किसी और के लिये उसे ठुकरा कर चली गयी। उसका दिल मान नहीं रहा था कि दिशा उसके साथ ऐसा भी कर सकती है, जिसके बिना वो जीने की सोच भी नहीं सकता था, वह लड़की उसे इस तरह ठोकर मार कर चली गयी जैसे उसकी लाइफ मे अजय की कोई वैल्यू ही ना हो। कितनी कोशिश की उसने अपने प्यार को मनाने की, लेकिन दिशा का दिल नहीं पसीजा, और वह अपनी राह चली गयी और उसे सबसे ज्यादा प्यार करने वाला अजय बस अकेला रोता हुआ रह गया।

अजय का दिल टूट चुका था, वह दिशा की ये बेवफाई बर्दाशत नहीं कर सकता था, आखिर इस दर्द, से छुटकारा पाने का बस ये ही आखरी उपाय था उसके पास, वह यह दुनिया ही छोड़ दे।

अपनी इस दर्द भरी जिंदगी को विराम देने के लिये उसने आखरी कदम उठाया और वह मौत से गले लगाने ही वाला था कि तभी पीछे से किसी की तेज आवाज आयी, ‘हैलो, मिस्टर.. क्या कर रहे हो।’

आवाज सुनकर अजय के कदम रूक गये, उसने पलट कर देखा, एक लड़की उसके नजदीक खड़ी थी, और बोल रही थी, ‘रुक जाओ, ये क्या कर रहे हो तुम…?’

‘मैं क्या कर रहा हूं, इससे तुम्हें क्या..तुम अपना काम करो’ अजय ने गुस्से में कहा।

 ‘मै तो अपना काम ही कर रही हूं, लेकिन तुम अपना काम तमाम करने पर तुले हुए हो, और यह मैं होने नही दूंगी’ वह लड़की बोली-

‘तुम हो कौन, चाहती क्या हो मुझसे।’ अजय भड़कते हुए बोला।

‘मै कौन हूं इससे फर्क नहीं पड़ता लेकिन मैं क्या चाहती हूँ ये ज्यादा इंपोर्टेंट है।’ लड़की ने मुस्कुरा कर कहा।

अजय जो अब तक पूरी तरह से अपनी जान देने के लिये तैयार था और अगर बीच में ये लड़की ना आती तो शायद अपने मंसूबे में कामयाब भी हो गया होता, वह अभी भी अपने फैसले पर अडीग था और अपने मजबूत इरादे के साथ रैलिंग पर खड़ा था लेकिन इस अनचाहे मेहमान की वजह से मौत की तरफ बढ़ते उसके कदम धीमे हो गये थे।

वह लड़की अजय की आंखों में देखते हुए बोली, ‘वैसे आप चाहे तो बता सकते है कि हुआ क्या है, क्योंकि कहते हैं कि किसी को अपने दिल का दर्द बताने से दर्द कुछ कम हो जाता है।’

‘ऐसा कुछ नहीं है, कुछ कम नहीं होता और होता भी होगा लेकिन मेरा दर्द कम नहीं होगा इतना पता है मुझे। तुम अपनी फिलास्फी अपने पास रखो, मैं पहले ही परेशान हूँ प्लीज तुम और परेशान मत करो मुझे। अपने आप को देखो, तुम अभी नादान हो, समझ नहीं पाओगी मेरा दर्द।’ अजय ने कहा।

‘अच्छा, ऐसा क्या दर्द है तुम्हें, एक्जाम में फेल हुए तो नहीं लगते हो तुम, शायद इश्क में दिल टूट गया है तुम्हारा, कोई लडकी जिसे तुम अपनी लाइफ समझते थे वो तुम्हें ठुकराकर चली गयी और तुम उस लड़की को यह दिखाने के लिये यहाँ इस ऊँची सी छत पर आ गये कि कितना प्यार करते थे तुम उसे, है ना।’ उस लड़की ने कहा।

‘हां दिल टूट गया है मेरा, जिसे मैं जान से भी ज्यादा प्यार करता था वो लड़की आज इस तरह मुझे ठुकरा कर चली गयी, किसी और के लिये मुझे अकेला छोड़ गयी, लेकिन मैं उसके बिना नहीं रह सकता, और आज यह मैं उसे दिखा दूंगा’, अजय रोता हुए बोला।

‘अच्छा, यहां से कूदकर, अपनी जान देकर दिखा दोगे तुम... लेकिन ड्यूड ये तो बताओ की इस बात की क्या गारंटी है कि वो देखेगा ही। हो सकता है उस पर इतना टाइम ही ना हो कु वो तुम्हारे बारे में किसी से कुछ मालूम करे। चलो मान लो उसे पता चल भी गया लेकिन फिर भी तुम्हारे मरने का ना उसे कोई दर्द हुआ ना ही कोई फर्क पड़ा तब क्या होगा, तब तो तुम्हारा मरना ही बेकार हो जायेगा’ वह लड़की बोली।

‘क्यो नहीं देखेगी, जरुर देखेगी वो, और जब मर जाऊंगा, तब उसे मेरे जाने का दर्द होगा, जरूर होगा।’, अजय ने कहा।

‘पागल हो तुम, अरे अगर उसे तुम्हारी दूरी का दर्द होता तो वो अभी क्यो छोड़कर जाती तुम्हें। उसे कुछ फर्क नहीं पड़ेगा तुम मरो या जियो, लेकिन हां कुछ लोगों को जरुर फर्क पड़ेगा, वो जानते हो किसको।’ 

‘किसको..?’ अजय ने पूछा।

‘तुम्हारे माता पिता को... जबसे तुम पैदा हुए हो तब से वो तुम्हें प्यार करते हैं।,

फर्क पड़ेगा, तुम्हारे भाई बहनों को, जो भले ही तुमसे रोज झगड़ते हो, लेकिन उस लड़की से हजारों गुना प्यार करते हैं तुमसे...

फर्क पडेगा तुम्हारे दोस्तों को जो जिंदंगी भर तुम्हारे साथ बिताये पलों के सहारे तुम्हें याद करेंगे।

लेकिन तुम को तो इस सब के प्यार से, इनके दर्द से कोई फर्क नहीं पड़ता, जैसे दिशा को तुम्हारे प्यार से या तुम्हारे दर्द से फर्क नहीं पड़ता।’

अगर तुम चाहते हो की दिशा को अपनी गलती का अहसास हो मरने से नहीं जीने से काम चलेगा, तुम जियो और इतने बड़े बनो, इतने अच्छे बनो की जब भी वह तुम्हें देखे तो उसे अपनी भूल का एहसास हो, वह लड़की गंभीर होते हुए बोली।

वह अजनबी लडकी जो कुछ पल पहले अजय को दुश्मन लग रही थी अब उसे उसने एक दोस्त दिखने लगी। अपनी उस अजनबी दोस्त की बाते सुनकर अजय का गुस्सा और दर्द कुछ शांत हुआ वह छत की रैलिंग से नीचे उतर आया, और बोला, ‘हां तुम सही कह रही हो, दो महीने के प्यार के लिये मैं इतने सारे लोगों को दर्द कैसे दे सकता हूं, वो भी उन्हें जो उसे लड़की से हजारो गुना ज्यादा प्यार करते हैं मुझे। मैं अब मरकर नहीं कुछ बनकर दिशा को दिखाऊंगा कि उसने मुझे ठुकरा कर कितनी बड़ी गलती की है।

अगर तुम नहीं आती तो अबतक मेरी बॉडी नीचे पड़ी होती और मैं ऊपर चला गया होता लेकिन तुमने मेरी आंखें खोल दी, मुझे ऐसी बेबकूफी करने से रोक लिया थैक्स मिस....! कहकर अजय उस लड़की का धन्यवाद अदा करने के लिये पीछे मुड़ा, लेकिन ये क्या वहां तो कोई नही था, अजय एकदम आशचर्य चकित रह गया। उसने चारों तरफ देखा लेकिन वहां कोई नहीं था।

अजय बहुत तेज कदमों से लगभग भागते हुए छत पर उस अंजान लड़की को ढूंढ ही रहा था, तभी वहा एक गार्ड आ गया और बोला, ‘ऐ लडके क्या कर रहा है यहां, पता है ना यहा आना मना है।’

‘अरे यहां अभी एक लड़की थी तुमने देखा उसे, क्या वो नीचे गयी है’, बौखलाये हुए अजय ने गार्ड से पूछा।

‘लड़की यहां, अबे पागल है क्या, पिछले दो हफ्ते से इस छत पर कोई नहीं आया। पुलिस ने यहां आने पर रोक लगा रखी है, आज गलती से गेट खुला रह गया, और तू उपर आ गया, चल नीचे कोई लड़की नहीं है यहां।’ वह गार्ड भड़कते हुए बोला।

‘लेकिन यहां एक लडकी थी, 20..21 साल की, नार्मल हाईट, बोलता हुआ जय गार्ड के साथ नीचे आने लगा लेकिन उसकी नजरें अभी भी टेरिस पर उस अजनबी दोस्त को ढूंढ रही थी....

‘अरे भाई तेरे को बोला ना कोई नहीं है यहां, चल नीचे’ गार्ड ने फिर कहा और जीने का गेट बंद करके वह अजय को नीचे ले गया।

नीचे उतरते ही गार्ड ने एक अखबार उठाया और अजय को दिखाते हुए बोला, ‘तुझे मेरी बात पर यकीन नहीं था ना, तू ये पढ़ दो हफ्ते पहले ये लड़की छत से कूदकर मर गयी थी, इसके बायफ्रेड ने किसी और लड़की के लिये इसे छोड़ दिया था, जबसे ये मरी है तबसे मॉल की टैरिस पर जाने पर रोक लगा रखी है पुलिस ने...समझा।’

अजय को गार्ड की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि अखबार में छपा फोटो देखकर उसका दिमाग कुछ समझ ही नहीं पा रहा था, ये तो वो ही लड़की थी जिसने कुछ समय पहले उसे सुसाइड करने से रोका था, उसकी जान बचायी थी, लेकिन वह पहले ही दुनिया को अलविदा कह चुकी है... अजय को यकीन ही नहीं हो रहा था, लेकिन अपनी उस अजनबी दोस्त की बातें लगातार अजय के दिमाग मे घूम रही थी।

“कुछ दिन के प्यार के लिये हम ऐसा कुछ कर जाते हैं जिससे हमें जन्म देने वाले, हमें पालने वाले, हमें सबसे ज्यादा प्यार करने वाले लोग जिंदगी भर रोते हैं और हम चाहकर भी उनके आंसू नहीं पौंछ सकते..... मैं नहीं चाहती की तुम भी ऐसी बेवकूफी करो...कोई भी ऐसी बेवकूफी करे, जिंदगी अनमोल है इसे जी भर के जिओ।”


(दोस्तो आपको मेरी कहानी कैसी लगी, कृपया मुझे अपने अमूल्य विचारो से अवशय अवगत कराये। मुझे आपके सुझावो और विचारो का इंतजार रहेगा।)


अरूण गौड़

Mo- 9897457533

Email- arungaud00@Gmail.com


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