आरोही -हृदयगति की
आरोही -हृदयगति की
घड़ी की सुई तीन पे आ गई थी, अब मुझसे और नहीं रहा गया। मै तुरंत बिस्तर से उठा, कपड़े पहने और भीड़ भाड़ से दूर थोड़ी शांति पाने के लिए मेट्रो स्टेशन की ओर चल पड़ा। वैसे दिल्ली में शायद ही कोई ऐसी जगह होगी जहां सुकून और शांति हो। कुछ दिन पहले ही मैंने संजय वन के बारे में पढ़ा था, सुना था बहुत सुंदर वन है और ये वन क़ुतुब मीनार के पीछे स्तिथ है ।
फिर मै मेट्रो स्टेशन पहुंचा वहां से क़ुतुब मीनार स्टेशन की तरफ निकला। क़ुतुब मीनार जाने के लिए मुझे 2 लाइन बदलनी पड़ती, पहली बोटैनिकल गार्डन से और फिर हौज खास से।
मै बोटैनिकल गार्डन पर उतरा और हौज खास जाने वाली मेट्रो में चढ़ गया और खुस्किस्मती से सीट भी मिल गई। मेट्रो का दरवाज़ा बंद हुआ, और फिर खुल गया, कुछ लोग अंदर आने लगे, उन्हीं के बीच एक लड़की भी अंदर आ ही रही थी कि मेरी नजर उसपे पड़ी, और फिर मानो हिंदी फिल्म का कोई दृश्य चलने लगा। उसके बाल उड़ने लगे, चेहरा चमकने लगा और मुझे भीड़ में सिर्फ वो ही दिखने लगी, मानो पूरी मेट्रो में बस मै और वो ही हो,
फिर उसने मेरी तरफ देखा और मैंने शरमा के निगाहें नीचे कर ली और वो मेरे पास आ कर खड़ी हो गई।
मेट्रो का दरवाज़ा बंद हुआ और मेट्रो तेजी से बढ़ने लगी और साथ साथ मेरे हृदय कि धड़कन भी। उसे खड़ा देख मुझसे रहा नहीं गया और मैं खड़ा होकर उसे अपनी सीट दे दी।
वो हँसते हुए, बिना कुछ बोले वहा बैठने हि वाली थी कि वहा पे एक अंकल आके बैठ गये। फिर मैं अंकल को घूरने लगा, और तभी उसने मेरा हाथ छुआ और मुझसे बोली - " कोई बात नहीं"
उसके हाथ एकदम कोमल और ठंडे थे। फिर मै मुस्कुराया और हम दोनों खड़े हो गए। दोनों स्टेशन के बीच की दूरी आधे घंटे की थी पर ये आधे घंटे का सफर मानो आधे साल का लग रहा था। वो अपना फोन चलाने में व्यस्त हो गई और मै उसे चोरी छुपे देखने में। वो इतनी सुंदर थी कि मानो धरती पे अप्सरा। इतने में हौज खास स्टेशन आ गया। भीड़ में खड़ा मै उसे आखिरी बार देखे बिना मेट्रो से उतर गया। कुछ देर रुका ताकि जब सब उतर जाए तो उसे आखिरी बार देख लूं। सब उतर गए और शायद वो भी।
फिर मै मायूस होके कुतुब मीनार को जाने वाली मेट्रो में चड़ गया। मैंने नज़रे झुकाई और देखा ये क्या?... वही लड़की मेरे सामने बैठी थी। मेरा मन प्रसन्नता से भर उठा। और फिर उसने मुझे देखा और कोई रुचि नहीं दिखाते हुए अपना फोन चलाने लगी। फिर मै भी दूसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया।
क़ुतुब मीनार स्टेशन आया और मै उतर गया। बाहर निकल के चिप्स और कोल्डड्रिंक खरीदी ताकि वन में बैठ कर खा पी सकू। और फिर संजय वन की ओर चल पड़ा। वन पहुंचकर वन के गेट पर गया और वहां खड़ा होकर वन के मैप की फोटो खीचने लगा। इतने में वो लड़की मेरे बगल से गुजरी, मै उसकी तरफ देखने लगा। वो कुछ दूर आगे गई और फिर पीछे मुड कर मेरी तरफ देखा, मैंने तुरंत अपनी नज़रे उसपे से हटा ली और फोन की तरफ देखने लगा। वो मेरे पास आई और उसने गुस्से से मुझसे कहा - "पीछा कर रहे हो?"
मै डर गया और कापते हुए बोला -" न... नहीं... आप गलत समझ रही हैं, मै तो...."
इससे पहले मै कुछ बोलता वो मुस्कुराई और कहा -"अरे ठीक ठीक, मै मजाक कर रही थी तुम तो डर गए"।
फिर मैंने उसका नाम जानने के लिए अपना नाम उसे बताया।
उसने कहा -"अच्छा, मेरा नाम आरोही है"।
फिर हमने कुछ बाते की और फिर मैंने उससे पूछा -" कि क्या आप यहां पहले आ चुकी है?"
उसने बताया -"हा, वो यहां अक्सर आती है, और उसे अन्दर सारी जगहों के बारे में पता है।"
उसने फिर बताया कि "ये वन बहुत डरावना है, और यहां अकेले जाना मना है"।
वैसे तो मै ये भूत प्रेत में नहीं मानता पर फिर भी मैंने डरने का नाटक किया और उसके साथ चलने को बोला ताकि उसके साथ थोड़ा वक्त बिता सकूं।
हम दोनों साथ साथ आगे बढ़ने लगे, उसने मुझे वन के बारे में बताया, पीकॉक हिल और मयूर पहाड़ी जो कि अंदर स्तिथ है वहा ले गई उन्हें दिखाया और उनके बारे में बताया।
मै इस पल का आनंद उठा रहा था। वो जो भी बोल रही थी मुझे सुन कर अच्छा लग रहा था, सुकून मिल रहा था। मै अंदर हि अंदर बहुत खुश था। और फिर वो मुझे झील की ओर ले गई। झील काफी साफ थी और झील मै बैठे हंस उसकी सोभा बढ़ा रहे थे। वही पर उसने मुझे कुछ डरावनी कहानी सुनाई, और उसने पूछा -"तुम्हे डर नहीं लगा" और मैंने हास्य में उससे कहा -" तुम हो साथ में, तो डरना कैसा"।
उसने मुझे देखा और मुस्कुराने लगी।
और फिर उसने कहा अब हम चलेंगे इस वन की सबसे खूबसूरत जगह। और फिर वो मुझे "वॉच टॉवर" ले कर गई।
"अदभुत....."
बहुत ही सुन्दर नज़ारा था वो...वन की सबसे ऊंची जगह थी वो। दूर कुतुब मीनार दिख रहा था, चारो तरफ पेड़ हि पेड़, चिड़ियों की चचहाहट, ठंडी हवाएं चेहरे को स्पर्श करते हुए..... और आरोही!।
उसने पूछा -"कैसा लगा?"
मैंने उसकी ओर देखते हुए बोला -" बहुत सुंदर!"
वो शरमा कर चुप हो गई। मैंने इस खामोशी को तोड़ने के लिए प्रश्न पूछा -"इस वॉच टॉवर की खासियत" तब वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे ऊपर ले गई और बताया कि "यहां से पूरा वन दिखता है......"
फिर हम दोनों वहा बैठे और बैठ कर चिप्स कोल्डड्रिंक खाने लगे और नज़ारे का आनंद लेने लगे।
शाम के 5:30 हो गए थे उसने कहा चलो काफी देर हो गई है। मैने लौटते वक़्त उससे कहा कि -"तुम्हारे साथ चल कर मुझे बहुत अच्छा लगा"।
वो मुस्कुराई और कहा -"मुझे भी" और फिर चलने लगी।
रास्ते में मै सोच रहा था कि उससे उसका नंबर ले लूंगा ताकि इससे और बातें कर सकूं।
हम वन के गेट पे पहुंचे और बाहर निकलने लगे।
वो पल बहुत अच्छा था तो मैंने सोचा - "कि वन की फोटो ले लेता हूं, और इसी बहाने उससे नंबर भी ले लूगा"। मैंने अपना फोन निकाला, और तस्वीर खींचने के लिए पीछे मुड़ा, जैसे ही तस्वीर ली और आगे देका तो आगे कोई भी नहीं।
मानो वो 2 सेकंड में गायब हो गई हो।
मै अचंभित रह गया।......
मै घबरा गया और दौड़ कर सड़क से लगी चाय की दुकान पर गया।
चाय वाले से पूछा -"आपने किसी लड़की को देखा वहा से निकलते हुए?"
उसने कहा -"नहीं भैया", और अपना रेडियो चलाने लगा।
***गुमनाम है कोई..., किसको खबर कौन है वो.... अनजान है कोई..।*** (रेडियो पे बजते हुए)