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Priti Pimpalkhare

Drama

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Priti Pimpalkhare

Drama

आपकी संस्कृति

आपकी संस्कृति

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(एक लड़की मंच पर अलग अलग संस्कृति के परिधानों का मिश्रण पहनकर कड़ी है)

(हँसते हुए)

"ऐसे क्या देख रहे है? है….. मेरा पहनावा, मेरा ये रूप…!!! 

आप मे से कुछ सोचेंगे, आहा !!!!! कितना अच्छा सम्मिश्रण है? और कोई सोचेंगे मैं कौन हूँ? कहाँ से हूँ? समज़ में ही नहीं आ रहा!!!!

मैं बताती हूँ. मैं संस्कृति, आपकी धरोहर ,क्या कहेते है आप अंग्रेजी में (थोड़ा सोचते हुए) … हेरिटेज.

मैं विभिन्न कलाओं से परिपूर्ण हूँ. मगर मैं उलझन में पड़ गई हूँ, और इसे सुलझाने के लिए आपकी मदद चाहती हूँ|

कभी कभी मैं सोचती हूँ, मैं सच हूँ के मिथ्या हूँ? ये जो मेरा स्वरुप है वो केवल बदलाव है या वास्तविकता ,या फिर और कुछ?

नाट्य,नृत्य,संगीत,शिल्प जैसे अमूल्य खजाने का प्रतीत हूँ मैं (अभिमान महसूस करते हुए) मुझे बहुत ही गर्व महसूस होता है जब कोई मेरी इन कलाओं और कलाकारों की प्रशंशा और सन्मान करते है, मेरे मूल स्वरुप को सजाने सवारने में सहयोग करते है|

मुझे बहुत गौरव महसूस होता है जब भारतीय और पाश्चात्य संस्कृति के लोग एक दूसरे से कुछ सीखते है, और कभी कभी दोनों संस्कृतिओ का मिलन तो देखने जैसा होता है|

आज की नयी पीढ़ी मुझे नए से सजा रही है (अचानक डरते हुए), मगर, मैं डर गई हूँ ! जब मेरे ही कुछ लोग मेरे स्वरुप को छिन्न विछिन्न कर देते है, तब न तो मेरा मूल स्वरुप दिखता है और नहीं सम्मिलन| (चहेरे पर शोक का भाव) दुःख होता है मुझे, शर्म आती है, डर लगता है कि कही मैं इतिहास के पन्नो में लुप्त न हो जाऊं !

(घबराहट के मारे शब्द नहीं सुझते है ऐसा अभिनय) म म,मैं.. लुप्त नहीं होना चाहती, मैं तो आपकी धरोहर हु न ? हम एक सिक्के के दो पहलू हैं |

मैं आपसे प्रार्थना करती हूँ (घभराते हुए और हास्य के साथ) आपकी नयी सोच के अनुसार मुझे बदलना, मुझे और सुन्दर बनाना मगर मुझे लुप्त मत होने देना. मुझे बहुत ही प्यार से, सहेज के रखना. क्यूंकि… मैं आपकी अपनी हूँ न. .. आपकी संस्कृति!!!

लेखिका:- प्रीति पिम्पलख़रे





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