सभ्य-संस्कृति, संस्कार का दामन कभी ना छोड़ो तुम स्वयं दीप बन पथ पर चमको कर दो जग को रोशन तु... सभ्य-संस्कृति, संस्कार का दामन कभी ना छोड़ो तुम स्वयं दीप बन पथ पर चमको ...
क्या मैं भी किसी समुदाय की पहचान बन गया। यह भारत माँ भी आज हम से खड़ी पूछती है क्या मैं भी किसी समुदाय की पहचान बन गया। यह भारत माँ भी आज हम से खड़ी...
उम्मीद कुछ बनेगी बात, तभी हो पाएगा विश्व कल्याण। उम्मीद कुछ बनेगी बात, तभी हो पाएगा विश्व कल्याण।
आदिवासियों के लिए आप एक आशा की किरण जगाई थी। आदिवासियों के लिए आप एक आशा की किरण जगाई थी।
प्यार प्यार प्यार सभी में होना आवश्यक होता प्यार प्यार प्यार सभी में होना आवश्यक होता
कभी न इसको भूलिये, किये निछावर प्राण। त्याग दिया सर्वस्व निज, रखी देश की शान कभी न इसको भूलिये, किये निछावर प्राण। त्याग दिया सर्वस्व निज, रखी देश ...