ये लहज़ा दिनेश कैसे बदले, फिर उनसे लिहाज़ कर बैठे। ये लहज़ा दिनेश कैसे बदले, फिर उनसे लिहाज़ कर बैठे।
अमृतधारा बहती है जीवन मं शिक्षा से नव जीवन की कोमल पंखुडी खिलती है शिक्षा से अमृतधारा बहती है जीवन मं शिक्षा से नव जीवन की कोमल पंखुडी खिलती है शिक्षा से
तूरी, कड़वी, तीखी सी लज़्जत भरी ज़िंदगी से चुराकर एक लम्हें को संजोने की ख़ातिर रात का एक रेशमी ... तूरी, कड़वी, तीखी सी लज़्जत भरी ज़िंदगी से चुराकर एक लम्हें को संजोने की ख़ाति...
सर रखकर सुनो ना कभी मेरे सीने से उठते गर्म संवादों की लज्जत लेते। सर रखकर सुनो ना कभी मेरे सीने से उठते गर्म संवादों की लज्जत लेते।