त्यागो सारी कड़वी वाणी, मधु मिश्री बातों में घोलो। त्यागो सारी कड़वी वाणी, मधु मिश्री बातों में घोलो।
तृप्त करके सबको, ख़ुद को अमर कर जानी है तृप्त करके सबको, ख़ुद को अमर कर जानी है
स्वार्थ का तराजू तोल रहे है इस धरती माँ को खोद रहे है स्वार्थ का तराजू तोल रहे है इस धरती माँ को खोद रहे है
भारत जी ने दिग्विजय में करोड़ों गंधर्वों का संहार किया था। भारत जी ने दिग्विजय में करोड़ों गंधर्वों का संहार किया था।
ये है जीवन का आधार अच्छे कर्म पर आगे बढ़ना बुरा कर्म पर पीछे हटना। ये है जीवन का आधार अच्छे कर्म पर आगे बढ़ना बुरा कर्म पर पीछे हटना।