दर्द की इंतेहा पार हुई जब सुलगने लगी मन की लकड़ी! दर्द की इंतेहा पार हुई जब सुलगने लगी मन की लकड़ी!
पर भूल गए करना धन्यवाद उनका- जिनके श्रम से था बना वो दीपक जिससे करी हमने आराधना ईश्वर की। पर भूल गए करना धन्यवाद उनका- जिनके श्रम से था बना वो दीपक जिससे करी हमने...
गुजरे हुए लम्हों के अनगिनत पत्ते , कुछ बुझी सुलगती यादों का धुआं, सिसकते दम तोड़ते ख् गुजरे हुए लम्हों के अनगिनत पत्ते , कुछ बुझी सुलगती यादों का धुआं, सिसकते दम ...
बह गया था कुछ ? या सब कुछ सैलाब ऐसा भी आया था , एक दिन ! बह गया था कुछ ? या सब कुछ सैलाब ऐसा भी आया था , एक दिन !
श्रमरत जीवन में इतना ही जाना है सरल ज़िंदगी, सरल परिभाषा, अनवरत कर्म, अनोखी आशा रखती सजाए दिलो... श्रमरत जीवन में इतना ही जाना है सरल ज़िंदगी, सरल परिभाषा, अनवरत कर्म, अनोखी ...