हर ओर पार्थ ही दिखता था, कुरु वंशोंं के समरांगण में। हर ओर पार्थ ही दिखता था, कुरु वंशोंं के समरांगण में।
आत्म आवेग के साथ खुद की सांसों को ढोते हुए फिर भी मै हूं मेरे साथ..! आत्म आवेग के साथ खुद की सांसों को ढोते हुए फिर भी मै हूं मेरे साथ..!
ठिठकती रूठती उलझती सहमति जब तब जहाँ तहाँ अहम से टकराती ठिठकती रूठती उलझती सहमति जब तब जहाँ तहाँ अहम से टकराती
"आवेग...दृष्टि... दिशा, इतिहास, सभी तुम हो" (इसी कविता से) "आवेग...दृष्टि... दिशा, इतिहास, सभी तुम हो" (इसी कविता से)
उनको मसि बना कर पलको में बंद कर लूँ उर की तमाम बतियाँ मैं पी के संग कर लूँ। उनको मसि बना कर पलको में बंद कर लूँ उर की तमाम बतियाँ मैं पी के संग कर लूँ।
गुरु द्रोण का पुत्र वही जिसका जीवन बिता कुछ ऐसे गुरु द्रोण का पुत्र वही जिसका जीवन बिता कुछ ऐसे