श्रीमतिपति
श्रीमतिपति
पति पति होता है
पत्नी पत्नी होती है
दोनों का एकात्म होना
दोनों का एकसाथ होना
समाज का शुरुआत होना है
परिवार का सूत्रपात होना है
शक्ति का शिव बन जाना है
भविष्य का नींव बन जाना है
पत्नी प्रेम की अविरल प्रवाह है
पति प्रेम की धार की आवेग है
प्रेम सरिता कल-कल छल-छल बहती
इठलाती इतराती दुख-सुख बीच बहती
ठिठकती रूठती उलझती सहमति
जब तब जहाँ तहाँ अहम से टकराती
शुरुआत होती - कलह की विरह की
अर्धांगनी जब सर्वांगिनी बनना चाहती
पति में नारीश्वर होने की भावना पनपती
पत्नी को हमेशा श्रीपति चाहिए
पति को हमेशा श्रीमति चाहिए
श्री की चाह दोनों को
एक को पति रूप में
एक को मति रूप में
मति-पति के अंतर को मिटाना जरूरी है
मात्र चाहतों की अदला बदली जरूरी है
आसान है छोड़ अहम बन जाओ
श्रीमान-श्रीमती
जिद्द ना करो बनने की दूसरे का अधिपति
पति-पत्नी बने है बने रहने को श्रीमतिपति !!