अनभिज्ञ था तब कि ऐसा युग भी आएगा... अनभिज्ञ था तब कि ऐसा युग भी आएगा...
'इस समाज और अपने देश के हालत से नहीं रह सकती अनभिज्ञमैं कवि हूँ ना, तोमेरा फ़र्ज़ है इन सबके बारे में ... 'इस समाज और अपने देश के हालत से नहीं रह सकती अनभिज्ञमैं कवि हूँ ना, तोमेरा फ़र्ज़ ...
शांत हूँ मैं, अनभिज्ञ नहीं, पलट कर जवाब देना मेरे संस्कार नहीं! शांत हूँ मैं, अनभिज्ञ नहीं, पलट कर जवाब देना मेरे संस्कार नहीं!
ना करता अवहेलना किसी की, ना किसी के प्रति द्वेष है। ना करता अवहेलना किसी की, ना किसी के प्रति द्वेष है।
जीवन पथ में आगे बढ़ती दो कदम कभी पीछे हटती थोड़ा ठहरती ,आत्मसात करती जीवन पथ में आगे बढ़ती दो कदम कभी पीछे हटती थोड़ा ठहरती ,आत्मसात करती
हमारे तरकशों में केवल अभद्र शब्दों के बाण सारे रह गये हमारे तरकशों में केवल अभद्र शब्दों के बाण सारे रह गये