STORYMIRROR

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Others

3  

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Others

मनोवृति

मनोवृति

1 min
265


सामाजिक विषमताओं को देख रहे हैं !

अभद्र भाषाओं को सुन रहे हैं !!

कौन भला यहाँ चुप है ?

लोग विष वमन कर रहे हैं !!


हम पहले बापू जी के तीन बंदरों को देख सहम जाते थे !

अपनी मर्यादायों में सिमट कर रह जाया करते थे !!

बंदरों की तस्वीरों और मूर्तिओं की अब जरूरत क्या है ?

जब हमारी फ़ितरत ही बदल गयी है 

तो उन तस्वीरों की जरूरत ही क्या है ?

हमारे तरकशों में केवल अभद्र शब्दों के बाण सारे रह गये !

देखने और सुनने को वीभत्स और कर्कश बोल सारे रह गए !!

कहने के लिए हम आज विकसित और संपन्न हैं !

पर शीलता और शालीनता के मन्त्रों से आज भी अनभिज्ञ हैं !!


Rate this content
Log in