ज़िंदगी की गणित
ज़िंदगी की गणित
रात में एक सपना देखा
जो सपने में पूरा हो गया
सुबह जब नींद खुली तो
लगा कुछ अधूरा रह गया
मन से किया सवाल जब
उसने कहा समझो हो गया
पर मैंने कुछ किया ही नहीं
अरे सोचा इसलिए हो गया
पर मेहनत रास्ते तय नहीं
समझो यह सब भी हो गया
क्या करना है कुछ पता नहीं
अरे मन ने सब कुछ कर लिया।