युवा शक्ति
युवा शक्ति
जागो मेरे वीर सपूतों, धरती माँ की यही पुकार।
मानवता खतरे में पड़ी है, उठो देश के कर्णधार।
छोड़ असंभव शब्द को, पुरुषार्थी बनो धीर-गम्भीर।
नए युग का सृजन तुम्हीं से, हर लो मानवता की पीर।
संकीर्ण नहीं, विराट भाव हो, सभ्यता संस्कृति के तुम निर्माता।
न हो भाग्यवादी न भोगवादी, पुरुषार्थी बनो निज भाग्यविधाता।
धरा अग्नि सम धैर्य, तेज हो, तुममें हो जल-सी शीतलता।
वायु सा तीव्र विचार वेग, आकाश सम हृदय की विशालता।
अंतस की परम दिव्यता में, जगाओ विश्व बन्धुत्व विचार।
मुखमण्डल तेजस्वी हो, वाणी में ओज, उत्साह अपार।
हे युवा शक्ति पहचानों खुद को, तुम मात्र नहीं कोई व्यक्ति।
तुम विराट प्रतिरूप प्रतिनिधि, सम्पूर्ण राष्ट्र की अभिव्यक्ति।
छोड़ो भौतिकता की बांहें, हो स्वावलंबी चरित्र निर्माण।
पतन की ओर उन्मुख सृष्टि का, कर दो आज नया उत्थान।
मिल युवा शक्ति आगे आओ, तुममें अद्भुत सामर्थ्य भरा।
तुम निर्णायक युवा क्रांति के, अंतर में दृढ़संकल्प जगा।
अद्वैत निद्रा की तंद्रा छोड़, युवा क्रांति का करो जनघोष।
है युवाशक्ति ही राष्ट्रशक्ति, अब राष्ट्रवाद का करो जयघोष।