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Sonia Wadhwa

Abstract

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Sonia Wadhwa

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यदि मैं विश्व गुरु बन पाता

यदि मैं विश्व गुरु बन पाता

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यदि मैं विश्व गुरु बन इस विश्व के

उज्ज्वल भविष्य के लिए कुछ कर पाता,

तो सबसे पहले गांधी को वापस ले आता।


जानता हूं प्रतीत होता है अट्टहास,

आपको यह विचार,

क्योंकि जाने वाले तो लौट कर

वापस नहीं आते हैं,

पर अच्छे विचार और

सिद्धांत तो अमर हो जाते हैं


क्यों, क्या आज भी नहीं मानते

आप मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शों को ?

क्या नहीं सिखाता माता पिता की सेवा करना,

श्रवण कुमार का व्यक्तित्व आज भी ?

फिर क्यों न गांधी के सिद्धांतों को हम वापस ले आए,

और इस विश्व को एक बेहतर स्थान बनाएं।


आज मनुष्य ने अपने असीमित लालच,

भ्रष्टाचार और स्वार्थ से इस विश्व के

संसाधनों के भंडार को जो खाली कर डाला है,

उसे बचाने के लिए विश्व गुरुओं ने

अहिंसा और संवहनीय जीवन ही एक हल निकाला है।


पाश्चात्य जीवन शैली में कर ढल कर

जो भोजन और रहन-सहन हमने अपनाया है,

उससे हमने जीते जी इस देह को नर्क बनाया है।

गांधी जी के सात्विक भोजन व उच्च विचार की

शिक्षा को अब हमें जीवन में लाना होगा,

व्रत उपवास और योग से तन-मन को सुदृढ़ बनाना होगा।


गांधी ने बरसों पहले कहा था,

कोई भी देश तभी पूर्णतया संपन्न हो पाएगा,

जब उसके गांव का भी पूर्ण विकास हो जाएगा,

पर आज भी हमारे देश में गांव वासी शहर को दौड़ आता है,

क्योंकि उसके गांव में उसे पैसा और काम नहीं मिल पाता है।

क्यों ना गांधी जी के खेती से ऊर्जा,

भोजन व रोजगार के स्वप्न को सच बनाये,

और सतत विश्व की तरफ एक सुदृढ़ कदम उठाएं।


इस विश्व का सतत विकास तभी हो पाएगा,

जब हर व्यक्ति मित्रता मितव्ययिता से

प्रकृति द्वारा दिए गए संसाधनों को अपनाएगा,

यदि इंसान अध्यात्म के रास्ते पर चल,

सूचना प्रौद्योगिकी का सही उपयोग कर पाएगा,

तभी गांधी जी के सतत विकास का स्वप्न पूरा हो पाएगा।


यदि मैं विश्व गुरु बन इस विश्व के

उज्जवल भविष्य के लिए कुछ कर पाता,

तो सबसे पहले गांधी को वापस ले आता।


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