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Sonia Wadhwa

Others

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Sonia Wadhwa

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प्रकृति से यह मेरा कैसा नाता

प्रकृति से यह मेरा कैसा नाता

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प्रकृति से यह मेरा कैसा नाता है, जिसे मेरा अंतर्मन कभी समझ नहीं पाता है।


फूलों से भरे बाग बगीचे देखकर यह मन खूब लुभाता है,

फिर नए पौधे लगाने में इतना आलस्य क्यों आता है,

पेड़ों की छाया में बैठकर इसे आत्मीयता का भाव आता है, 

पर इन्हीं पौधों को पानी देने में इसका मन क्यों कतराता है।


प्रकृति से यह मेरा कैसा नाता है, जिसे मेरा अंतर्मन कभी समझ नहीं पाता है।


जल के महत्व का तो मानो यह बचपन से ज्ञाता है,

फिर भी बाथरूम में नल चलाकर पता नहीं कैसे भूल जाता है,

घंटों मोटर चला कर कार वॉश कराता है,

और फिर वाटर वारियर की टीशर्ट पहनकर सोशल मीडिया पर छा जाता है।


प्रकृति से यह मेरा कैसा नाता है, जिसे मेरा अंतर्मन कभी समझ नहीं पाता है।


जब जंगल सफारी करने में इसे इतना आनंद आता है,

तो क्यों इन्हें कटवा कर अपने लिए महल खड़े करवाता है,

वन महोत्सव के दिन एक पौधा लगाकर सेल्फी खिंचवाता है,

फिर कभी पलट कर उसे देखने भी नहीं जाता है।


प्रकृति से यह मेरा कैसा नाता है, जिसे मेरा अंतर्मन कभी समझ नहीं पाता है।


सड़क पर कचरा फेंक मस्त आगे बढ़ जाता है, कचरा पेटी ढूंढने के लिए चार कदम भी नहीं बढ़ाता है,

धरती मां को मां कहता है फिर उन पर ही कहर ढाता है।

प्रकृति से यह मेरा कैसा नाता है जिसे मेरा अंतर्मन कभी समझ नहीं पाता है।


 


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