वतन की हिफ़ाजत है पहले ज़ुरूरी..
वतन की हिफ़ाजत है पहले ज़ुरूरी..
वतन की हिफ़ाज़त है पहले ज़ुरुरी
भले मेरे भइय्या न राखी पे आना
न दुश्मन की चालें सफल हों कभी भी
कि सरहद पे उनका पसीना छुड़ाना
बहुत याद आये वो बचपन सुहाना
पतंगें पकड़ने मुंडेरों पे जाना
वो काग़ज़ की कश्ती नदी में बहाना
वो अमवा की डाली पे झूला झुलाना
वतन....
बुआ की सगाई डकैती पढ़ी थी
जमा पूंजी ग़ायब समस्या बड़ी थी
दो नन्हे से हाथों में माटी की गुल्लक
तुरत आके बुआ के हाथों थमाना
वतन....
न भूले भुलाएं पिताजी की यादें
वो वीरों के किस्से शहीदों की बातें
जिसे सुन के तेरा गुस्से में आना
वो नकली तमंचे से गोली चलाना
वतन......
पता था मुझे भइया
फौजी बनेगा
वतन की हिफाज़त तू दिल से करेगा
पिताजी की बातें कभी न भुलाना
न दुश्मन के डर कभी पीछे जाना
वतन......
जो शब्दों की राखी सजाई है मैंने हवाओं के
हाथों से वो भेज दूंगी
तू अपनी दुआएँ संजो करके रखना
ऐ भइय्या जब आना तो लेकर के आना
वतन......