सर न झुकने दे कभी तू बेबसी के
सर न झुकने दे कभी तू बेबसी के
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सर न झुकने दे कभी तू बेबसी के सामने
दर्द की क्या हैसियत ठहरे खुशी के सामने
तू भरोसा रख ख़ुदा पर और अपने आप पे
भूल के भी अश्क़ न छलका किसी के सामने
बीन कूड़ेदान से कुछ रोटियाँ भूखा हँसा
हर हँसी बौनी लगी उसकी हँसी के सामने
वक्त को दे वक्त थोड़ा वक्त बदले वक्त को
बा वफ़ा है वक्त रोना रो उसी के सामने
अपनी सीरत को सँवारो बेटियों कुछ इस तरह
टिक न पाए वहशियत भी सादगी के सामने
जान ले लें ,जान दे दें पर बता अपनी रज़ा
कब से विनती कर रही हूँ राम जी के सामने
'मन' कहाँ है,कौन है,क्यों है न था कुछ भी पता
तीरगी मिटने लगी है रोशनी के सामने
