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Ankita Bhadouriya

Inspirational

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Ankita Bhadouriya

Inspirational

वो कलम कहाँ से लाऊँ मैं?

वो कलम कहाँ से लाऊँ मैं?

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वीरों का गुणगान जो कर सके,

वो शब्द कहाँ से लाऊँ मैं?

जो बलिदानों का सार लिखे,

वो कलम कहाँ से लाऊँ मैं?


राष्ट्रहित को सर्वस्व समझकर,

जो बाकी सबकुछ भूल गये।

माँ भारती की रक्षा में जो,

हँसते-हँसते सूली पर झूल गये।

ऐसे अमर जवानों की ज्योति पर,

प्रतिदिन शीश झुकाऊँ मैं।

जो बलिदानों का सार लिखे,

वो कलम कहाँ से लाऊँ मैं?


जिनके फौलादी इरादों से,

रेगिस्तान की रेत भी तपती है।

बर्फीली चोटी हिमालय की,

उनके सम्मान में खुद ही झुकती है।

ऐसे रणबाँकुरों के किस्से,

गीतों में लिखकर हरदम गाऊँ मैं।

जो बलिदानों का सार लिखे,

वो कलम कहाँ से लाऊँ मैं?


हे भारत के वीर जवानों!

ये राष्ट्र सदा से ऋणी तुम्हारा है।

तुम्हारी कुर्बानी का मान रखेंगें,

ये दृढ़ संकल्प हमारा है।

जो वरदान मिले मुझको तो,

मृत्यु सरहद पर तुम जैसी ही चाहूँ मैं।

जो बलिदानों का सार लिखे,

वो कलम कहाँ से लाऊँ मैं ?


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