मातृभाषा हिन्दी
मातृभाषा हिन्दी
मात्र इक भाषा नहीं है हिन्दी,
राष्ट्र की समग्र विशेषताओं का आधार यही है।
हमारे अस्तित्व की पहचान है हिन्दी,
जीवन का निरंतर प्रवाहित विचार यही है।
जीवन की सार्थकता का हिन्दी एक प्रमाण है,
मीरा का प्रेम है इसमें लक्ष्मीबाई की हुंकार भी है।
रस, अलंकार और छंद से सजा हुआ आभूषण है ये,
माँ गंगा की ममता है इसमें पतितों की चीत्कार भी है।
भाषाओं के कुल में अहम है हिन्दी,
इसका विस्तृत शब्द कोष और इतिहास है।
साधारण जनमानस की बोली है हिन्दी,
फिर भी समाहित विशिष्टता का उल्लास है।
ऐ भारत के युग पुरुषों! स्मरण रहे ये बात सदा ही,
पाश्चात्य सभ्यताओं के प्रभाव से,
राष्ट्रभाषा के स्वर ना धूमिल हो पायें।
जिसमें परतंत्रता का भाव भरा हो वो आदर्श,
जीवन में कदापि ना शामिल हो पायें।
