वीर सिपाही
वीर सिपाही
रक्षा करना धर्म हमारा ।
हम जगते हैं जग सोता है
ये सारे परिवार हमारा ।।
नहीं है खुद का दुश्मन कोई
अपना धर्म निभाते हैं ।
खुशियाँ देते हैं हम सबको
मंगल दीप जलाते हैं ।।
धर्म नहीं है अपना कोई
सब धर्मो से नाता है ।
हिंदु मुस्लिम सिख इसाई
पर श्रृष्टि एक विधाता है।।
अपनी मनसा एक यही है
फूल खिले हर द्वारों में।
जगमग जगमग दीप जले
पतझड़ के पयसारों में।।
जिसके आँचल की छाया में
पलते हैं बढ़ते हैं सारे ।
ऐसे जगत जननि अवनि से
फल मिलते है न्यारे ।।
हम अरियों का दिल से दुश्मन
यह पहचान हमारा है ।
जहाँ खिले खुशियों की कलियाँ
मधुर बागवाँ प्यारा है ।।
हम में है बलिदानी ताकत
गम में खुशियाँ भरते हैं ।
जिगर है फौलाद का अपना
जिसमें हिन्दुस्तान रखते हैं।।
