विद्वान
विद्वान
बन गए बड़े-बड़े विद्वान
लेकर गुरुओ से हम ज्ञान
बिना गुरु होता है जीवन जैसे घोर अंधेरा
गुरुओ से ही उज्जवल है आज जीवन तेरा मेरा
1
बिना गुरुओ जीवन होता है जैसे रेगिस्तान
धूल ही धूल उड़ती है होते हैं इधर-उधर पाषाण
रात सी अधियारी होती ना होता भोर सवेरा
गुरुओ
बन
2
जो शिष्य सच्चे होते हैं गुरुओं को देते हैं मान
वह करते हैं ऐसा सब कुछ गुरुओं का होता सम्मान
अजर अमर जो नाम कर दे बनकर ख्वाब सुनहरा
गुरुओ
बन
3
प्यार लुटाते हैं आशीष लुटाते हैं
जो मंजिल तक ले जाए वह रहा दिखाते हैं
इनके चरणों में पुष्प बने यह मन कोमल मेरा
गुरुओ
बन