उत्तम पुरुष
उत्तम पुरुष
निर्मल मन मुस्कान बिखेरे आत्मसात बन जाए
जब देखे भक्तों की पीड़ा नीर समर छलकाए
शत्रु पर प्रहार करे और क्षमा दान बरसाए
ऐसे हृदय परम् पूज्य ही राम चन्द्र कहलाए
कुप्रथा का कलंक मिटा कर शौर्य युग दिखलाए
सब का मालिक एक है जग में संतों को सिखलाए
निर्धन का दुःख दूर करे निर्जन को गले लगाए
ऐसे निपूर्ण निःस्वार्थ सारथी बाबा साई कहलाए
इस्पर्श के जिससे रोग मिटे जो मृत्यु से लड़ जाए
निर्लज में भी प्राण भरे ज्योति की अलख जलाए
मानवता की राह में जो हँस कर सूली पर चढ़ जाए
वही मसीहा दया के सागर ईसा मसीह कहलाए
अक्षर वाणी प्रेम में जिनके दुःख में भी मुस्काए
जिनके क़दमों की आहट से धरती सुगंधमय हो जाए
एक प्रभु के समक्ष में जो शीश झुके बतलाए
संदेश के अंतिम दूत मोहम्म पैग़म्बरे कहलाए