Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

उन्माद

उन्माद

1 min
368


प्रकृति की जो अभिलाषा है,

एक उन्माद ही तो है।

बहते झरने, उगता सूरज, बरखा, हवा,

असीम हरियाली, एक उन्माद ही तो है।


पैसे की ललक, सोने की चमक,

रात का दिन, धुनिक जीवन

और आगे बढ़ने की चाह,

क्या है सब एक उन्माद ही तो है।


मुझे तो सब उन्माद ही दिखता है,

स्कूल जाता वो बच्चा,

जो भावी भविष्य की तैयारी कर रहा है,

प्रभात फेरी को जाता बुजुर्ग,

जो नई पीढ़ी को देखने के लिए

वक़्त समेट रहा है,

उन्माद ही तो है।


और उन्मादी मैं भी हूँ,

और तुम भी,

मुझे उन्माद प्रकृति का है,

तुम्हें समन्दरों में सैर का होगा,

किसी को ऊँची इमारतों का उन्माद

सब उन्माद ही तो है,

ये संसार एक उन्माद है,

ओम का उन्माद।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract