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Taravatisaini Neeraj

Abstract

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Taravatisaini Neeraj

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तू ही सब

तू ही सब

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तू ही ईश्वर

तू ही अल्लाह

तू ही ईशु

तू ही वाहे गुरु


तू ही रूप, तू ही आकार 

तू ही सीमित, तू ही असीमित 

तू ही रक्षक, तू ही भक्षक

तू ही बारिश, तू ही सुनामी 


तू ही मिटाए, तू ही बनाए

तू ही बर्फ, तू ही रेत 

तू ही अर्श, तू ही फर्श

तू ही शरीर, तू ही आत्मा

 

तू ही चिर, तू ही काल

तू ही एक, तू ही अनेक

तू ही पानी, तू ही सागर

तू ही चक्र, तू ही वक्र

 

तू ही विष, तू ही अमृत

तू ही धर्म, तू ही अधर्म 

तू ही कण है, तू ही पहाड़

तू ही सम, तू ही विषम

तू ही आत्मा, तू ही परमात्मा


तू ही मैं, मैं ही तू 

तू ही सब कुछ है

फिर हम इंसानों को 

किस बात का वहम ?


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