तू एक नारी
तू एक नारी
न्यारी तू नारी, प्यारी प्यारी,
बचपन में गुड़िया और नन्ही सी परी।
देखते देखते हो जाती है,
सुंदर, सुशील प्यारी सी नारी।
गंगा में भक्ति, दूर्गा की शक्ति,
राधा की प्रीति और मीरा की आसक्ति।
विश्वास मरीयम का, शिफा का मरहम तू ,
प्रतिशोध पांचाली का, पद्मिनी का त्याग तू ।
सरस्वती की विद्या तू, लक्ष्यमी का धन,
सीता का पावितृ तू, यशोदा मैया का मन।
उर्वशी का रूप तेरा, शकुंतला की सादगी,
टेरेसा मां बनकर संवारे, बहुतों की ज़िन्दगी।
जननी तू, तू ही माता, तेरे वजूद से हर एक नाता,
करता है वंदन तुझको, सारी सृष्टि का निर्माता।
मगर ,एक बात तू लाजमी समझ लें,
केवल बराबरी के नहीं ये मसले।
भूल जा वो मसीहों वाला काल,
तुझे ही बनना है खुद की ढाल।
तू तो है ही दो कदम आगे, बस पेहेचान अपने मयार को,
बुलंद कर अपने हौसले को।
सुबह उठते ही आईना देखो,
बोलो हंसकर अपने आप को
ना कमजोर, ना ही कमजर्फ हूं मैं,
खुबसूरत सी जहीन नारी हूं मैं।