तुम !!
तुम !!
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तुम ओंकार की नाद में हो, तुम ब्रह्म साध की वाद्य में हो,
तुम सूर्य उदय की पहली किरण, तुम नभ वन में दिखती हो हिरन,
तुम जलरूपी अमृत हो प्रिया, तुम अंधकार में जलता दिया,
तुम मीरा की भक्ति में हो, तुम दुर्गा की शक्ति में हो,
तुम मधुरस का हो मीठापन, तुम हर प्राणी का एक स्वपन,
जब मृगमद में इठलाती हो, तुम सर्पिणी सी बल खाती हो,
तुम प्रेरणा-स्रोत कंचन-जंगा, तुम प्रेमस्रोत पावन गंगा,
तुम प्रकृति का उपहार प्रिये, तुम गीता का हो सार प्रिये,
तुम सावित्री सी नारी हो, तुम मेरी स्वप्न-कुमारी हो,
तुम मेरी स्वप्न-कुमारी हो, तुम मेरी स्वप्न-कुमारी हो