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Punyashil Wankhade

Abstract

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Punyashil Wankhade

Abstract

तुझमें अब रब दिखने लगा है

तुझमें अब रब दिखने लगा है

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तेरा यूँ ही मुस्कुराना भी ना जानें क्यों अपना सा लगता हैं,

जैसे कोई उगता हुआ सूरज नई सौगात लेके आया है।


ना जाने क्यों ये दिल तेरी यादों में रेहने लगा है,

जिंदगी के मोड़ पर अब कोई नजर आने लगा हैं।


तेरा बेवजाहं हंसना भी अब अच्छा लगने लगा है,

तेरी बातों में अब ये दिल झूमने लगा है।


बस कहना हैं तुझसे, तुझमें अब रब दिखने लगा है,

ख़्यालों की इन वादियों में कहीं ये दिल खोने लगा है।


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