तो जीवन व्यर्थ है
तो जीवन व्यर्थ है
जिस बाप के हक़ में घर था पुश्तैनी
गर उसको एक दीवार भी न दे पाया तू
तो जीवन व्यर्थ है
जिस माँ ने अपना जीवन संपूर्ण
तेरी सेवा में अनुदान किया
गर उसको साश्वत प्यार न दे पाया
तो जीवन व्यर्थ है
जिस भाई बहन के स्नेह, प्रेम
और विनोद में जीवन ये बहुमूल्य कटा
गर उनको उपहार न दे पाया
जिस पत्नी ने राह तकी हर शाम
गर उसको सत्कार न दे पाया
जिन मित्रों ने साथ दिया संकट में
गर उनको आभार न दे पाया
रिश्ते नाते दो-चार जो काम आये
गर उनको व्यवहार न दे पाया
अनैतिकता में डूबती इस दुनिया को
गर कुछ नैतिक विचार न दे पाया
अपने बाद अपने अनुजों-संततों को तू
गर आध्यात्म-संस्कार न दे पाया
तो जीवन व्यर्थ है।
