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Amit Radha Krishna Nigam

Others

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Amit Radha Krishna Nigam

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दीदी

दीदी

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घर में रौशनी,

घर के रोशन-दान से नहीं,

बिजली के किसी सामान से नहीं,

दीदी से है।

जब जब,

उलझनों से मन हारा, मौन हुआ घर सारा,

और मन में बैठी काली परछाई,

दीदी सामने आई।

मोहल्ले का शोर को या टीवी की आवाज़

त्योहारों की व्यस्तता हो

या घर के सपने,

दीदी के सब अपने।

घर की दीवारों में,

घुली हुई है, दीदी के प्यार की खुशबू,

और कमरो में, उसके एहसास की नमी,

हर शाम है, घर में दीदी की कमी

दीदी!


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