STORYMIRROR

Kartik Sehgal

Abstract

3  

Kartik Sehgal

Abstract

सूरज का सन्देश

सूरज का सन्देश

1 min
213


अंगड़ाई लेता उगता सूरज,

रोज़ एक नया सन्देश लाता सूरज।

कहता सबको, बढ़ो आगे निर्भय होकर 

क्या हुआ जो लगी बादलों की ठोकर।।


फैलाओ अपना प्रभाव चारों दिशाओं में,

तपती रेत पर और ठन्डे समुन्दर में।

ऊर्जा इतनी कि तारें तक धुंदले पढ़ें,

चरम इतना कि बढ़े आकार भी छाओं में खड़े।। 


देता ये सन्देश है सूरज,

गिरा भी है जो उठा भी है।

कर्त्तव्य पूरा करने निकला दूजी दिशा में,

पर न थका न डूबा है सूरज।। 


जाने जो तुम राज़ आज उसका,

तो मानोगे एक ही है नुस्खा।

बढ़ा भी वो, घटा भी है,

लेकिन कल फिर है उसका।। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract