सपनो का पंछी
सपनो का पंछी
ख्वाब करना है वो पूरे
आँखों में अब तक जो थे अधूरे।
पलकों की दबिश में
चाहतों ने जोर मारा
उड़ गई नीदें हमारी,
चैन भी खोया हमारा।
मंजिलें हमको बुलाती
डालने को है बसेरा।
तोड़ दो सब बंधनों को,
आगे खड़ा है नया सवेरा।
करो कुछ ऐसे जतन
हो ख्वाब पूरे अपने अधूरे।
आँखों में अब तक जो थे अधूरे।
ख्वाब करना है वो पूरे
आँखों में अब तक जो थे अधूरे।
