सीख
सीख
सागर से सीखो, विशाल बनना।
नदियों से सीखो, मीठा बनना।।
क्यों देखते हो अवगुण।
ढूंढो, सब में है कुछ न कुछ गुण।।
फलों से डालियों का लचकना है लाज़मी।
जो गलतियों पर झुके वो है आदमी।।
सागर से सीखो, विशाल बनना।
नदियों से सीखो, मीठा बनना।।
क्यों देखते हो अवगुण।
ढूंढो, सब में है कुछ न कुछ गुण।।
फलों से डालियों का लचकना है लाज़मी।
जो गलतियों पर झुके वो है आदमी।।