रफ्तार ज़िंदगी की
रफ्तार ज़िंदगी की
1 min
275
एक बार जब फुरसत मिली, सोचा खुद को समय दूँ
बात करूँ खुद से थोड़ी, हँसी दुःख बाँट लूँ।
दुनिया नहीं मायाजाल है, अंधकार का निवास है,
थोड़ा अपना थोड़ा दिल का मामला संभा लूँ।
याद रखके कुछ देर घरवालों में बाट लूँ,
'मेरा दिन अच्छा था' एक वाक्य उन्हें सुनाऊँ।
समस्या है आज-कल की घर-घर की यही कहानी है,
व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा रूककर,
समय देना अपनों को, यह प्रयत्न जारी है।