रंगशाला के अभिनेता
रंगशाला के अभिनेता


बनाकर मयकश हमे,
सुरूर छिन लेता है।
खुदा देके हयात हमे
सुकून कहां देता है।
लोग तो यूँ ही बदनाम
हैं गिले शिकवॊ से,
हर कोई व्यर्थ मे
दूसरों को दोष देता है।
कठपुतली बनाकर हमे
ईश्वर ही नचाता है।
कैसे जीते कोई जब
वही हमसे खेलता है।
हर कोई यहा दिया
किरदार निभाता है।
इस रंगशाला के हम
तो बस अभिनेता हैं।