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सुरेन्द्र मेवाड़ा 'सुरेश'

Abstract

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सुरेन्द्र मेवाड़ा 'सुरेश'

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रिश्तें - अनजाने से

रिश्तें - अनजाने से

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जीवन की इन राहों में,

रिश्ते कई बन जाते हैं

जाने-अनजाने ही सही,

वे बहुत खास बन जाते हैं।


वह अनजान व्यक्ति ही

एक दिन जीवन बन जाता है

उसके साथ का समय ही

सुनहरा समय बन जाता है।


फिर एक दिन वही व्यक्ति

कहीं ओझल हो जाता हैं

सिर्फ स्मृतियों के पदचिन्ह ही

जीवन के पन्नों पर उकेर जाता है।


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