पंख
पंख
पंख अगर मेरे भी होते
आसमान की सैर करता
यूँ मैं उड़तेउड़ते
जीवन कितना सहज हो जाता
ऐसे झुमते गाते।
मैं तारों को छू लेता
ऐसे हंसते-हंसते
उड़ता रहता हर जगह
पूरा जगत घुमता
होती हर आजादी
हवा से बन जाता एक नाता
होता सुख-चैन जींदगी में
दुख सारे खो जाते
आसमान की सैर करता
पंख अगर मेरे भी होते।
