प्रेम का विस्तार कर दें
प्रेम का विस्तार कर दें
व्यग्र आकुल बंधुओं में,
तेज का संचार कर दें।
प्रेम का विस्तार कर दें।
प्रेम का विस्तार कर दें।
द्वेष, अवगुण का पतन हो,
नव विचारों का सृजन हो,
क्षोभ का कर दें विसर्जन,
नेह से हो सिक्त ये मन,
अब तिमिर के दर्प का हम,
दीप से संहार कर दें।
प्रेम का विस्तार कर दें।
प्रेम का विस्तार कर दें।
व्याधि, विष, संताप सारे,
दूर हों अभिशाप सारे,
श्वेत पृष्ठों पर अमर हो,
शब्द से आभा मुखर हो,
पंख पर बंधन नहीं हो,
अब गगन को पार कर दें।
प्रेम का विस्तार कर दें
प्रेम का विस्तार कर दें।
हर निरंकुश कामना को,
त्याग दें दुर्भावना को,
राष्ट्र हित संकल्पना कर,
शक्ति की आराधना कर,
धर्म मानवता जहाँ हो,
राष्ट्र वह साकार कर दें।
प्रेम का विस्तार कर दें
प्रेम का विस्तार कर दें।
