प्रार्थना
प्रार्थना
हे भक्तवत्सल औघड़दानी शिव शम्भू
आन पड़ी विपदा एक भारी शिव शम्भू
हे मृगपाणी सूरसदन कवची परमात्मा
विष व्याप्त हुआ चहुँओर ही शिव शम्भू
हे त्रिपुरान्तक अब हलाहल कण्ठ धरो
भय व्याधि रुग्णता दूर करो शिव शम्भू
हे भुजंगभूषण गल मुण्डों की माला वाले
ये वसुंधरा बन रही श्मशान शिव शम्भू
हे मृत्युञ्जय अब इस भय को दूर करो
असमय मृत्यु का चक्र रोको शिव शम्भू
हे महाकाल अब कालगति का रथ रोको
ये हाहाकारी राग अब रोको शिव शम्भू
हे महादेव देवाधिदेव प्रभु अव्यय हर हर
ताण्डव नर्तन अब थाम लीजिए शिव शम्भू।
