फिर कोई बहाना ढूँढते हैं ,
तुझसे बातें करने का ,
तेरे संग हँसने का ,
तेरे साथ बहकने का |
दिल अक्सर याद करता है ,
वो मदहोशी भरे अपने अफ़साने ,
डूब उनमे अश्क बहा अपने ,
अब सोचें वहाँ से निकलने का |
बेचैनी में तुझे भेज संदेश ,
फिर धीरे से चुप हो जाते ,
तेरे पूछे जाने पर हाल ,
बता देते टूटे सपनों का |
यूँ तो एक इशारा काफी ,
तुझे बुलाने का अपने संग ,
बस कुछ लोक - लाज से डर ,
कुछ समय नहीं अब हँसने का |
हर बहाने की गर्मी ऐसी ,
जो तेरे आने पर शोक मनाती ,
बस दिल बेबसी से रुक जाता ,
एक शूल चुभा खुद से जलने का |
फिर कोई बहाना ढूँढते हैं ,
तुझसे बातें करने का ,
तेरे संग हँसने का ,
तेरे साथ बहकने का ||