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RASHID AHMED KHAN

Abstract

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RASHID AHMED KHAN

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नया साल

नया साल

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यह सुहाना पल, 

साल है नया। 


आशिकाना पल 

चल पड़े जवां।


हम तो हैं यहीं 

न जाने दिल कहां।


कुछ पता अगर मिले 

तो आके दो बता।


न पुराने साल की,

न बातें बीते हाल की,


यह नया भविष्य है

कर तू कुछ कमाल की।


परों में फिर जान भर

लक्ष्य की बिसात पर,


झटक पटक बदन वदन

खुद को आत्मसात कर,


लहू में मेरे जोश है 

पलपल का मुझको होश है।


लब पे नाम उसी का है

कुछ नहीं जो पोश है।


वह मिल रहे हैं यार से 

नए नवेले प्यार से,


बहती नदी की धार है 

उम्मीद की ब्यार से।


उछल उछल मचल रहे हैं 

फिर से दिल जवां।


शबनम के बोसा ले रही 

गुलशन की तितलियां।


हर सू रंगीनिया,

बुलबुल की शोखियाँ,


ना कर पुराने साल की 

ना बातें बीते हाल की।


यह नया भविष्य है

कर तू कुछ कमाल की।


यह सुहाना पल, 

साल है नया। 


आशिकाना पल 

चल पड़े जवां


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